नरेंद्र वत्स, रेवाड़ी: राजनीतिक जीवन का संभवत अंतिम चुनाव भाजपा की टिकट नहीं मिलने के कारण चूके रणधीर सिंह कापड़ीवास ने शांत रहकर तीन प्रमुख प्रत्याशियों को अशांति महसूस करने के लिए बाध्य कर दिया। पिछले विधानसभा चुनावों में कापड़ीवास ने टिकट नहीं मिलने के बाद भाजपा प्रत्याशी का शिकार किया था, परंतु इस बार वह एक तीर से दो शिकार करने की रणनीति पर विचार कर रहे हैं। दो राजघरानों को एक साथ झटका देने के लिए कमजोर नजर आ रहे तीन प्रत्याशियों को एकजुटता से ताकतवर बनाने के लिए कापड़ीवास उन्हें खुला ऑफर दे रहे हैं।
रेवाड़ी से थे टिकट के प्रबल दावेदार
वर्ष 2019 के बाद लगातार दूसरी बार ऐसा हुआ, जब रेवाड़ी हलके से टिकट के प्रबल दावेदार पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास भाजपा की टिकट से वंचित रह गए। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह गत विधानसभा चुनावों में कापड़ीवास की टिकट कटवाकर सुनील मुसेपुर को प्रत्याशी बनाने में कामयाब हो गए थे। राव ने सुनील मुसेपुर को हर हाल में जिताने के लिए अपने तरकश के सभी तीर आजमाए थे, परंतु कापड़ीवास के पक्के इरादे ने राव के सभी तीर हवाई साबित कर दिए। निर्दलीय चुनाव लड़कर भी कापड़ीवास 36778 वोट ले गए, जबकि राव समर्थित सुनील मुसेपुर महज 1317 मतों से कांग्रेस प्रत्याशी से मात खा गए।
भाजपा ने 8 साल के लिए पार्टी से किया था बाहर
भाजपा ने कापड़ीवास के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए आठ साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया था। मजबूज जनाधार और पार्टी के शीर्ष नेताओं से अच्छे संबंधों के चलते कापड़ीवास को नायब सिंह सैनी ने प्रदेश अध्यक्ष बनते ही भाजपा में फिर से शामिल कर लिया। इसके बाद उनकी टिकट का रास्ता साफ होने की प्रबल संभावना बन गई। पार्टी की ओर से कई बार कराए गए सर्वे में कापड़ीवास को इस सीट पर सबसे वजनदार उम्मीदवार माना गया था। उनकी टिकट का रास्ता एक बार फिर राव इंद्रजीत सिंह ने बंद कर दिया।
लक्ष्मण के प्रति बुजुर्ग नेता का सॉफ्ट कॉर्नर
रणधीर कापड़ीवास को भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव से कोई गिला-शिकवा नहीं है। उनका कहना है कि लक्ष्मण सिंह यादव तो राव के लिए एक टूल हैं। उनकी लड़ाई एक साथ दो राज घरानों से है। दोनों राजघरानों को एक साथ टक्कर देना आसान नहीं है, लेकिन किसी एक का पत्ता साफ करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। चींटी को सबसे कमजोर माना जाता है, परंतु वह चलते हुए हाथी को भी जमीन में गिरा सकती है। उनका प्रयास अहम और अहंकार खत्म करने के लिए कमजोर चेहरों को एकजुट करने का है।
तीन प्रत्याशियों को दे चुके खुला ऑफर
कापड़ीवास का कहना है कि उनके पास लक्ष्मण, चिरंजीव राव, सतीश यादव व सन्नी आशीर्वाद के लिए आ चुके हैं। उन्होंने अभी तक किसी को समर्थन देने की बात नहीं कही है। वह इनेलो-बसपा प्रत्याशी विजय सोमाणी, सतीश यादव और सन्नी को एकजुट होने का इशारा कर चुके हैं। अगर यह तीनों एकजुट होते हैं, तो दोनों राजघरानों को मात देने के लिए वह उनका खुलकर साथ देने में कोई गुरेज नहीं करेंगे। अगर यह तीनों एकजुट नहीं होते हैं, तो फिर वह समर्थकों से विचार के बाद अंतिम निर्णय ले सकते हैं।