Question on system of family identity card : हरियाणा सरकार की ओर से नागरिक सुविधाओं को सरल और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई परिवार पहचान पत्र (PPP) योजना अब आम जनता के लिए परेशानी का कारण बनती जा रही है। सिरसा जिले के सुल्तानपुरिया गांव में रहने वाले एक परिवार के लिए यह योजना एक बुरे सपने में तब्दील हो गई है। 16 वर्षीय छात्र सौरभ जो कि अभी 12वीं कक्षा में पढ़ रहा है उसे सरकारी रिकॉर्ड में शादीशुदा दिखा दिया गया है और वह भी एक अज्ञात लड़की से। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि उसके पिता का नाम रिकॉर्ड में उससे छोटा दिखाया गया है।
दो साल से दफ्तरों के चक्कर काट रहा परिवार
किसान हवा सिंह अपने बेटे सौरभ की पहचान से जुड़ी इन त्रुटियों को ठीक करवाने के लिए बीते दो वर्षों से जिला प्रशासन, मुख्यमंत्री कार्यालय और समाधान शिविरों के चक्कर लगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके बेटे को गलत तरीके से 19 वर्षीय अमीना नाम की किसी लड़की का पति बना दिया गया है। यही नहीं बैंक खाते में भी अमीना को सौरभ की नॉमिनी बना दिया गया है, जिससे वित्तीय जोखिम भी बढ़ गया है।
हवा सिंह ने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा- मेरा बेटा अभी नाबालिग है। वह सिर्फ़ 16 साल का है और पढ़ाई कर रहा है। न हमने कभी अमीना नाम की किसी लड़की को देखा है न ही उससे कोई रिश्ता है। अब सरकार हमसे उस लड़की का मृत्यु प्रमाण पत्र या तलाक का प्रमाण पत्र मांग रही है। यह कैसे संभव है।
एक नहीं, कई गड़बड़ियां
सिर्फ सौरभ की शादी को लेकर ही नहीं बल्कि परिवार पहचान पत्र में और भी कई विसंगतियां सामने आई हैं। हवा सिंह के मुताबिक कुछ दस्तावेजों में सौरभ को परिवार का मुखिया दिखाया गया है और उन्हें खुद उसके बेटे के तौर पर दर्शाया गया है। यह तकनीकी गलती न केवल उनके पारिवारिक सम्मान को ठेस पहुंचा रही है बल्कि प्रशासनिक कामों में भी बाधा बन रही है।
परिवार के अनुसार समाधान शिविरों में भी कोई मदद नहीं मिली
हरियाणा सरकार ने हाल ही में पूरे राज्य में समाधान शिविरों का आयोजन किया था, जिसका उद्देश्य परिवार पहचान पत्र से संबंधित समस्याओं का समाधान करना था लेकिन सौरभ के परिवार के अनुसार समाधान शिविरों में भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली। शिकायतें दर्ज की गईं, दस्तावेज सौंपे गए लेकिन दो साल बीतने के बावजूद त्रुटियां जस की तस बनी हुई हैं।
दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई की चेतावनी
इस मामले में सिरसा के अतिरिक्त उपायुक्त का कार्यभार संभाल रहे सुभाष चंद्र ने स्वीकार किया है कि उन्हें परिवार पहचान पत्र में गड़बड़ियों से जुड़ी कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं। उन्होंने बताया कि संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन त्रुटियों को प्राथमिकता पर ठीक करें। उन्होंने कहा कि यदि किसी कर्मचारी की लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी नागरिक को ऐसी गलतियों की वजह से मानसिक या सामाजिक उत्पीड़न न झेलना पड़े।
तकनीकी प्रणाली या मानवीय लापरवाही
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इतनी बड़ी गलती कैसे हुई? क्या यह तकनीकी सिस्टम की गलती है या फिर संबंधित विभाग की मानवीय लापरवाही? विशेषज्ञों का मानना है कि परिवार पहचान पत्र की डेटा एंट्री प्रक्रिया में पारदर्शिता और क्रॉस वेरिफिकेशन की भारी कमी है। कई बार CSC केंद्रों या जनसेवा केंद्रों पर काम करने वाले ऑपरेटर त्रुटिपूर्ण तरीके से जानकारी दर्ज कर देते हैं और फिर उन्हें ठीक करवाना आम नागरिक के लिए बेहद मुश्किल हो जाता है।
राज्यव्यापी समस्या बनता जा रहा परिवार पहचान पत्र
सौरभ का मामला कोई अकेला नहीं है। पूरे हरियाणा से रोजाना ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें किसी को गलत उम्र, गलत रिश्तेदार, गलत बैंक नॉमिनी या यहां तक कि गलत मृत्यु भी दिखा दिया गया है। यह स्थिति न सिर्फ प्रशासनिक अराजकता को उजागर करती है बल्कि सरकार की डिजिटल इंडिया की नीति पर भी सवाल खड़े करती है।
सुधार की आस में परिवार
हवा सिंह और उनका परिवार अब भी उम्मीद लगाए बैठा है कि उन्हें न्याय मिलेगा और उनके बेटे की पहचान को सही किया जाएगा। लेकिन यह मामला एक बार फिर इस बात की पुष्टि करता है कि तकनीक तब तक मददगार नहीं हो सकती जब तक उसे चलाने वाले लोग जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम न करें।