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Sonipat News: सोनीपत में बिना लाइसेंस के बन रही कैंसर की नकली दवाइयों के चलते दिल्ली क्राइम ब्रांच ने इसका पर्दाफाश किया है।

Sonipat News: सोनीपत में बिना लाइसेंस के बन रही कैंसर की नकली दवाइयों के चलते दिल्ली क्राइम ब्रांच ने इसका पर्दाफाश किया है। खरखौदा के फिरोजपुर बांगर क्षेत्र में फैक्ट्री का संचालन किया जा रहा था। फैक्ट्री के संचालन की सूचना कई दिनों से पुलिस को मिल रही थी। औषधि नियंत्रक विभाग (FDA) सोनीपत की तरफ से वरिष्ठ ड्रग कंट्रोल अधिकारी राकेश दहिया की अगुवाई में छापा मारा गया। जांच पड़ताल के बाद पता चला कि यहां हिमाचल प्रदेश की तीन कंपनियों की दवाइयां बनाई जा रही थीं। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने इसका पर्दाफाश किया है।  

फैक्ट्री का लाइसेंस किया रद्द

FDA की टीम के वरिष्ठ ड्रग कंट्रोल अधिकारी राकेश दहिया ने इस फैक्ट्री में छापा मारकर इसका खुलासा किया है। इस फैक्ट्री में कैंसर कीमोथेरेपी की नकली दवाओं का कारोबारों धड्ड्ले से चल रहा था। फैक्ट्री के पास किसी भी तरह का कोई वैध प्रमाण पत्र नहीं था। एफडीए टीम को सूचना मिलने के बाद, जांच के दौरान पता चला कि इस फैक्ट्री का मालिक मनोज राजस्थान का रहने वाला है।

इस मामले का पर्दाफश होने के बाद अफसरों में हड़कंप मचा है। आनन-फानन में फैक्ट्री की सील कर साथ ही आयुर्वेद संबंधी दवा बनाने के लाइसेंस को रद्द कर दिया गया है। इस फैक्ट्री की न तो कभी जांच की गई न ही कभी सैंपल लिया गया।

इस मामले में शामिल आरोपी रामकुमार की आरडीएम बायोटेक के नाम से फूड सप्लीमेंट बनाने की फैक्ट्री गन्नौर में है। यह फैक्ट्री 2016 में लगाई गई थी। इस फैक्ट्री को सेंट्रल एफडीए (फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन) से लइसेंस लिया गया था। इस फैक्ट्री में जिनोव्हे के नाम से फूड सप्लीमेंट बनाया जाता था। इसको एक प्रोटीन पाउडर में रूप में तैयार किया जाता था, जिससे कभी किसी को इस फैक्ट्री पर शक न हो। इस फैक्ट्री को गाजियाबाद ले जाने के बाद इसमें दवाओं का कारोबार शुरू किया गया।

जांच के लिए भेजा गया सैंपल

आरोपी की इस फैक्ट्री में केवल पांच लोग ही काम करते थे। इसका संचालक फूड सप्लीमेंट का मिश्रण खुद तैयार करता था। कामगार इस मिश्रण को पैक किया करते थे। कामगारों को इस बात की भनक भी न थी कि यहां क्या बनाया जा रहा है, ये मिश्रण किस चीज का है। उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी।

फैक्ट्री में कैल्शियम कार्बोनेट और स्टार्च के 20 बोरे मिले हैं। उनका सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। इस फैक्ट्री में पुलिस के साथ केंद्रीय खाद्य औषधि प्रशासन, राज्य खाद्य औषधि प्रशासन, ड्रग डिपार्टमेंट, फूड इंस्पेक्टर और जिला आयुर्वेदिक अधिकारी की टीम ने छापामारी की है। छापेमारी में बाद मशीनों को सील कर दिया गया है। साथ ही, इसमें बचे हुए माल को भी सील कर दिया है।

2016 में फैक्ट्री बनाने के बाद यहां पर 2018 तक फूड सप्लीमेंट बनाकर सप्लाई किया। उसके बाद बिना किसी को जानकारी दिए कैंसर की नकली दवा तैयार की जाने लगी। आरोपित के साथी इस दवा को आयुर्वेदिक बताकर बिक्री करते थे। इसी के चलते इन लोगों ने आयुर्वेदिक दवा बनाने का लाइसेंस ले लिया, लेकिन कभी भी दवा नहीं बनाई गई।

इन दवाओं को बेचने के लिए लाइसेंस नंबर का ही प्रयोग करते थे। इन दवा की पैकिंग पर स्टार्च व कैल्शियम कार्बोनेट लिखा है। इनके सैंपल को लेकर जांच के लिए भेज दिए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार कहा जा रहा है कि यहां पर हमारी टीम ने कभी निरीक्षण नहीं किया था क्योंकि यह फैक्ट्री केंद्रीय अधिकारियों की निगरानी में थी।

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