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हरियाणा के यमुनानगर क्षेत्र से विधानसभा टिकट के लिए नेताओं के बीच होड़ लगी हुई है। टिकट पाने के इच्छुक लोगों ने दिल्ली के महंगे होटलों में डेरा डाला हुआ है। कांग्रेस व भाजपा समेत प्रत्येक राजनैतिक दल में टिकटार्थियों की संख्या दर्जन भर से अधिक है।

भगवान सिंह राणा, यमुनानगर: करवटें बदलते रहे सारी रात हम...गीत की पंक्तियां उस प्रेमी की तड़प का एहसास कराती हैं जो अपनी प्रेमिका की याद में बड़ी बेसब्री से रात गुजारता है। आजकल ऐसा ही कुछ कांग्रेस व भाजपा के उन टिकटार्थियों का हाल हो रहा है जो विधानसभा के लिए टिकट पाने की चाहत में दिल्ली के महंगे होटलों में ठहरे हुए हैं। आलम यह है कि कांग्रेस व भाजपा समेत प्रत्येक राजनैतिक दल में टिकटार्थियों की संख्या दर्जन भर से अधिक है। लिहाजा जिले की चारों विधानसभा सीटों से टिकट पाने की चाहत रखने वाले दर्जनों लोगों ने दिल्ली में डेरे जमा दिए हैं।

अधिकांश नेताओं की अपने क्षेत्र में नहीं पहचान

विधानसभा की टिकट पाने की चाहत रखने वालों में अधिकांश लोग ऐसे हैं जिनकी अपने-अपने क्षेत्र में ना तो कोई पहचान है और ना ही कोई वजूद है। इसके बावजूद वह टिकट पाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। खास बात तो यह है कि यह वह नेता हैं जो टिकट मिल गई तो ठीक, नहीं तो क्षेत्र से ही गायब होने में पूरी तरह माहिर हैं। भाजपा और कांग्रेस में इस बार जिले की चारों विधानसभा सीटों पर मारामारी मच रही है। हालत यह है कि इन दलों के बड़े तो बड़े छुटभैया नेता भी टिकट पाने की जुगत में जुटे हैं। वहीं, आप पार्टी में भी इस बार जिले की चारों विधानसभा सीटों पर टिकट पाने की होड लगी है। हर कोई विधायक बनना चाहता है।

समर्थकों के साथ होटलों में डाला डेरा

जिले की चारों विधानसभा सीटों की बात की जाए तो यमुनानगर से भाजपा की टिकट पाने वालों में आठ व्यक्ति सक्रीय दिखाई दे रहे हैं। जबकि रादौर में एक दर्जन से अधिक लोग टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं और दिल्ली के महंगे होटलों में अपने समर्थकों के साथ पिछले एक सप्ताह से डेरा डाले हुए हैं। चारों सीटों पर कई दावेदार तो ऐसे हैं जो कभी भाजपा में नहीं रहे और अचानक पार्टी के दिग्गज नेताओं के किसी रिश्तेदार को पकड़ कर टिकट मांगने के लिए दिल्ली पहुंच गए। बताया गया है कि उक्त लोगों ने अपनी टिकट पक्की मानकर पोस्टरों आदि से अपने-अपने हल्कों के शहरी व ग्रामीण इलाकों में दीवारों को पूरी तरह पाट दिया है। कांग्रेस का भी यही हाल है।

होटलों में जेबें होने लगी खाली

दिल्ली होटल में अपने समर्थकों के साथ ठहरे एक टिकटार्थी का कहना है कि टिकट तो उनकी पक्की है। लेकिन टिकट की घोषणा कब होगी, इस बारे में अभी कहना मुश्किल है। लेकिन उनका हाल यह है कि होटलों के किराये व सहयोगियों पर होने वाले प्रतिदिन के खर्च ने उनकी जेब ढीली कर दी है। अब वह अपने रिश्तेदारों व दोस्तों से पैसे का जुगाड़ करने में लगे हैं।

दावेदारों के हौंसले हुए पस्त

जिले की चारों विधानसभा सीटों पर टिकट पाने के लिए मची मारामारी के बीच उन दावेदारों की नींद उड़ी है, जो वाकई टिकट के पक्के दावेदार माने जा रहे हैं। उनमें से एक दावेदार का कहना है कि पूरे पांच वर्ष तक क्षेत्र में उन्होंने खून पसीना बहाया और अब जब फसल काटने का समय आया तो बाहरी लोग मैदान में डट गए। उन्हें डर सता रहा है कि कहीं बाहरी लोग धन बल के रास्ते टिकट हथिया कर उनके लिए रोड़ा न बन जाएं।

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