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MP के डिंडौरी से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। राठौर समाज के 150 परिवार ने कलेक्टर से ईसाई धर्म अपनाने की अनुमति मांगी है। मंगलवार को समाज के लोग जनसुनवाई में पहुंचे। कलेक्टर से बोले-समाज में मिलाप नहीं हुआ तो ईसाई धर्म अपना लेंगे।

भोपाल। मध्यप्रदेश के डिंडौरी से बड़ी खबर सामने आ रही है। धनुआ सागर गांव में रहने वाले राठौर समाज के 150 परिवारों के लोग बच्चों के साथ जनसुनवाई में पहुंचे। कलेक्टर के पैर छूकर बोले कि सात पीढ़ी पहले उनके पूर्वजों ने गलती से समाज से बाहर की महिला को रख लिया था। तभी से उनका परिवार बहिष्कृत है। परमार इनके रिश्तेदारों को फोन करके धमकी देते हैं कि हमसे संबंध न रखें। गांव में यज्ञ चल रहा है, बच्चे वहां जाते हैं तो उन्हें मारकर भगा दिया जाता हैं। पैर तोड़ने की धमकी देते हैं। कार्यक्रम को बच्चे दूर से देखते रहते हैं। अधिकारियों से शिकायत और मिन्नतें करते-करते थक चुके हैं। अगर समाज में मिलाप नहीं हुआ तो ईसाई धर्म अपना लेंगे। इसकी जवाबदारी राठौर समाज के पदाधिकारी और जिला प्रशासन की होगी। प्रशासन समाज में नहीं मिलवा सकता तो धर्मांतरण की अनुमति दे। 

कलेक्टर ने कहा-दोनों पक्षों को समझाइश दी जाएगी
समाज के लोगों की बात सुनने क बाद कलेक्टर विकास मिश्रा ने कहा कि ऐसी सोच रखने वालों को समझना चाहिए कि यह बिल्कुल ठीक नहीं है। इस तरह समाज से किसी को अलग करना गैरकानूनी है। गांव में जाकर दोनों पक्षों को समझाइश दी जाएगी। इसके बाद भी नहीं मानते तो फिर कानूनी कार्रवाई करने का विचार करेंगे।

तत्कालीन सरपंच ने जोड़ा, जिला अध्यक्ष ने फिर किया बहिष्कार 
समाज के लोगों ने कलेक्टर को यह भी बताया कि काफी मिन्नतें करने के बाद तत्कालीन सरपंच और पंचों ने गांव में बैठक की। गंगा स्नान, राम कीर्तन, भंडारा, सामाजिक भोज और धर्मशाला के नाम पर दो लाख रुपए दान करने की सहमति बनाकर समाज में शामिल कर लिया। इसके बाद कृष्णा परमार जिला अध्यक्ष बने। कृष्णा ने फिर बहिष्कार का फरमान सुना दिया। परमार ने ऐलान कर दिया कि इन 150 परिवारों को जो भी सामाजिक कार्यक्रम में बुलाएगा या इनसे रोटी-बेटी का संबंध रखेगा, उसे भी समाज से अलग कर दिया जाएगा। इसके बाद लोगों ने डर के कारण 150 समाज के इन लोगों को बुलाना बंद कर दिया।  

150 साल से समाज से बहिष्कृत हैं 
राठौर समाज के जिला अध्यक्ष कृष्णा परमार ने मीडिया को बताया कि धनुआ सागर गांव में 150 परिवार 150 साल से समाज से बहिष्कृत हैं। उनका इनसे रोटी-बेटी का संबंध कभी नहीं रहा। इन लोगों ने किसको पैसा दिया, क्या किया, हम लोगों को जानकारी नहीं है। हम क्यों इन्हें समाज से बाहर करेंगे? हम तो और इन परिवारों की मदद करते हैं। इन्हें कोई गुमराह कर रहा है।

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