Bhopal AIIMS: दुनिया में हर साल 7 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में भारत में 1 लाख 71 हजार लोगों ने आत्महत्या की। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2024 पर भोपाल एम्स में 'आत्महत्या पर विमर्श बदलना' विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई है।
आत्महत्या पर विमर्श को बदलने की दिशा में करना होगा काम
भोपाल एम्स के कार्यपालक निदेशक प्रो. डॉ. अजय सिंह ने कहा कि आत्महत्या से हर एक जीवन की हानि सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव परिवार, दोस्तों और समाज पर भी गहराई से पड़ता है। हमें आत्महत्या पर विमर्श को बदलने की दिशा में काम करना होगा। अपनी उम्मीदें थोपने के बजाय हमें सहानुभूति और समर्थन से भरा माहौल बनाना होगा। एम्स भोपाल इस बदलाव का नेतृत्व करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा- मानसिक स्वास्थ्य प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए नीतियों में सुधार, देखभाल की व्यापक पहुंच और संकट में पड़े व्यक्तियों को सहायता प्रदान करना आवश्यक है।
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आत्महत्या के बढ़ते खतरे को कम करने पर हुई चर्चा
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 'युवाओं में आत्महत्या रोकथाम की रणनीतियां' विषय पर आयोजित पैनल चर्चा थी। इसकी अध्यक्षता एम्स भोपाल के मनोरोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. विजेंदर सिंह ने की। इसमें मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, शिक्षाविद, और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पैनल ने आत्महत्या के बढ़ते खतरे को कम करने के लिए युवाओं के लिए जरूरी रणनीतियों पर गहन चर्चा की गई।
प्रोफेसर डॉ. विजेंदर ने कहा कि दुनिया भर में हर साल 7 लाख लोग आत्महत्या करते हैं और एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में भारत में एक लाख 71 हजार लोगों ने आत्महत्या की। ये सभी मौतें रोकी जा सकती हैं।
इस दौरान "गेटकीपर प्रशिक्षण कार्यशाला" का भी आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य प्रतिभागियों को आत्महत्या रोकथाम के लिए आवश्यक कौशल और जानकारी प्रदान करना था। कार्यशाला में इस बात पर जोर दिया गया कि संकटग्रस्त व्यक्तियों की पहचान कैसे की जाए और समय पर उन्हें उचित सहायता कैसे दी जाए।