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प्रदर्शनी को अमिता ने आरंगन शीर्षक दिया है। एब्सट्रेक्ट फॉर्म में तैयार किए गए। इन चित्रों को अमिता ने रंगों का बेहतरीन संयोजन कर तैयार किया है।

आशीष नामदेव, भोपाल। मनुष्य द्वारा कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष रूप से प्रकृति का क्षरण किया जाता रहा है। मनुष्य की भौतिक तरक्की कहीं न कहीं प्रकृति के नुकसान का कारण बनी है। प्रकृति को होने वाले नुकसानों को अपने कल्पना के रंगों से कैनवास पर आकार देने का कार्य किया है। मौका था भारत भवन के रंगदर्शनी दीर्घा में मंगलवार को जयपुर की वरिष्ठ कलाकार अमिता राज गोयल की एकल चित्र प्रदर्शनी के शुभारंभ का। 

प्रदर्शनी को अमिता ने आरंगन शीर्षक दिया है। एब्सट्रेक्ट फॉर्म में तैयार किए गए। इन चित्रों को अमिता ने रंगों का बेहतरीन संयोजन कर तैयार किया है। प्रदर्शनी में अमिता के कुल 47 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। रूपंकर प्रभाग की ओर से संयोजित प्रदर्शनी का कला प्रेमी 29 सितंबर तक प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 8 बजे तक अवलोकन कर सकते हैं।

मनुष्य ने अपनी सुविधा के लिए प्रकृति को किया प्रदूषित
अमिता ने बताया कि वे पिछले 22 वर्षों से कला के क्षेत्र से जुड़ी हैं और उन्हें एब्सट्रेक्ट फॉर्म में काम करने में बेहद रुचि है। उन्होंने बताया कि वे पिछले कुछ समय से रि-क्रिएशन ऑफ नेचर सीरीज पर काम कर रही हैं। उसी सीरिज के दौरान तैयार किए गए चित्रों को प्रदर्शित किया गया है।

इन चित्रों में पेड़ों का क्षरण, वायु प्रदूषण, पर्यावरण को होने वाले नुकसान, अत्यधिक बारिश या बारिश का अभाव जैसे विषयों को चिन्हित कर पेंटिंग्स तैयार की हैं। राजस्थान राज्य कला अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अमिता ने बताया कि जब वे इस सीरिज पर कार्य आरंभ कर रही थीं उन्होंने काफी चिंतन और मनन किया, जिसके बाद विषय निकले कि किस तरह से मनुष्य ने अपनी सुविधा के लिए प्रकृति को प्रदूषित किया, पेड़ों को काटा, वायु, जल और ध्वनि को प्रदूषित किया। कूड़ा-करकट और रसायनों से मिट्टी प्रदूषित किया है।

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