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जनजातीय संग्रहालय में मंगलवार को ‘शलाका 56’ के अंतर्गत गोंड समुदाय के चित्रकार जुगराज सिंह परस्ते द्वारा बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी ‘सह-विक्रय’ शुभारंभ किया गया है।

आशीष नामदेव, भोपाल। जनजातीय संग्रहालय में ‘शलाका 56’ के अंतर्गत गोंड समुदाय के चित्रकार जुगराज सिंह परस्ते द्वारा बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी ‘सह-विक्रय’ शुभारंभ किया गया है। जिसमें गोंड समुदाय की संस्कृति और रहन-सहन, त्योहार आदि के बारे में उनके चित्रों में दिखाया गया है। इन चित्रों में पेड़, पहाड़, गाय, हिरण, शेर, कुआं, जंगल, ग्रामीण मकान, बालक-बालिका, चिड़िया इत्यादि देखने को मिले। जुगराज सिंह बताते हैं कि सभी पेंटिंग को कैनवास और सीट पर तैयार किया है। इसमें एक्रेलिक कलर का इस्तेमाल किया गया है। करीब 250 पेंटिंग वो लेकर आए है।

हिरण को दिखाया गया कई रंगों में
रंगों से सुंदर पेंटिंग के अंदर हिरण के सिंग को इस तरह से कैनवास पर उकेरा जैसे कि माना हिरण के सिंग नहीं बल्कि पेड़ हो। चित्रकार जुगराज बताते है कि पेड़ की तरह ही दिख रहे है, जिस पर पक्षी बैठे है। इसको सुंदर तरीके से दिखाने के लिए हिरण के पैरों को भी कई रंगों में दिखाया है। इस पेंटिंग में सुंदरता, प्रेम भाव और प्रकृति के बारे में दिखाया गया है।

एक चित्र में देखे कैसे होती है गोंड समुदाय में पूजा
जुगराज बताते हैं कि खुशी के मौके पर धान का चित्र बनाया गया है। जिसमें घर, पेड़ भी, वहीं साथ में महिला पूजा करते हुए दिख रही है। इस दौरान त्रिशूल भी देखने को मिल रहे है। जिसमें झंडा लगा हुआ है। इसमें साथ ही कई तरह के पेड़ लगे हुए है और धान भी देखने को मिली है। इसमें देखने वाले रंगों से ही खुशी और भक्ति का भाव देखने को मिलता है।

गोंड समुदाय में समझे हाथी की पेंटिंग का महत्व
जुगराज बताते हैं कि इस पेंटिंग में सिर्फ हाथी को दिखाया गया है। हमारे समुदाय में हाथी अक्सर देखने को मिलते है। इसलिए हाथी को दिखाया गया है। इस पेंटिंग में की तरह रंग हाथे अंदर दिखाए है ताकि जब लोग इसको अपने घर में लगाए तो उन्हें हाथी का रूप रंगों से भरा हुआ दिखे। साथ ही एक पेड़ है जिसके नीचे से हाथी निकल रहा है।
 

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