Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी की मंगलवार (3 दिसंबर) को 40वीं बरसी है। 2-3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल ही हवा में मौत बह रही थी। यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के लीक होने से लोगों की सांसें घुटने लगी थीं। किसी ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया, तो कोई हांफते-हांफते मर गया। इस त्रासदी में 5479 लोगों की मौत हुई थी। 5.74 लाख लोग प्रभावित हुए थे। काली रात क्या होती है? यह भोपाल के उन लोगों से पूछो-जिन्होंने अपनों को खोया। सपनों को मरते देखा। 40 साल बीत गए, लेकिन भोपाल गैस त्रासदी वाली रात को याद कर लोग अब भी सिहर जाते हैं। बात करते हुए फफक-फफक कर रो पड़ते हैं।
मौन रखकर दिवंगतों को किया याद
भोपाल त्रासदी को लेकर आज भी लोगों की आंखें नम हैं। पीड़ित अब तक मुआठजा, रोजगार, इलाज और अन्य जरूरतों का इंतजार कर रहे हैं। सोमवार (2 दिसंबर) को पीड़ितों ने कैंडल मार्च, प्रदर्शन और मौन रखकर गैस त्रासदी में मृत हुए लोगों को याद किया। बीएमएचआरसी में मंत्री विश्वास सारंग, महापौर मालती राय और बीएमएचजारसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव समेत अन्य ने श्रद्धांजलि दी।
आज श्रृद्धांजलि और प्रार्थना सभा
मंगलवार (3 दिसंबर) को 40वीं बरसी पर दिवंगतों की स्मृति में सुबह 10:30 बजे बरकतउल्ला भवन (सेन्ट्रल लायबेरी) में श्रृद्धांजलि और प्रार्थना सभा होगी। सभा में राज्यपाल मंगुमाई पटेल शामिल होंगे। दिवंगतों की स्मृति में 2 मिनट मौन श्रृद्धांजलि दी जाएगी।
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ऐसे हुआ था गैस का रिसाव और फैलाव
2-3 दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड के एक टैंक में स्टोर की गई एमआईसी गैस लीक हो गई। हवा के साथ गैस फैलकर आसपास के इलाकों में घुलने लगी। धीरे-धीरे गैस भोपाल शहर के बड़े हिस्से में फैल गई। लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। हजारों लोग गंभीर बीमारी का शिकार हो गए। आंखों में जलन, चक्कर आना, सांस फूलना और अत्यधिक थकान जैसी समस्याएं होने लगीं। गैस के कहर से लोगों को अपनी जान बचाने का समय ही नहीं मिला। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी जानलेवा गैस की चपेट में आ गए। त्रासदी में 5479 लोगों की मौत हुई थी। 5.74 लाख लोग प्रभावित हुए थे।
चार दशक बाद भी पीड़ितों का संघर्ष जारी
भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक बाद भी पीड़ितों का संघर्ष जारी है। वे न केवल अपने स्वास्थ्य और आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं, बल्कि वे सरकारी योजनाओं और न्याय की लड़ाई में भी खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। इधर गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता लगातार सरकार से उनकी समस्याओं के समाधान की मांग कर रहे हैं।
यूनियन कार्बाइड की स्थापना 1934 में हुई थी
यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड की स्थापना 1934 में भोपाल में की गई थी। हादसे के समय यहां लगभग 9,000 लोग काम कर रहे थे। इस कंपनी में यूनियन कार्बाइड और कार्बन कॉर्पोरेशन की 50.9 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि 49.1 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत सरकार, सरकारी बैंकों और भारतीय निवेशकों के पास थी। भोपाल स्थित इस फैक्ट्री में बैटरी, कार्बन उत्पाद, वेल्डिंग उपकरण, प्लास्टिक, औद्योगिक रसायन, कीटनाशक और समुद्री उत्पाद बनाए जाते थे। 1984 में, यह कंपनी भारत की 21 सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार थी।