Bhopal News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सरकारी स्कूल की प्रिसिंपल ने मिसाल पेश की है। उन्होंने के खुद के खर्च से स्कूल में रोबेटिक लैब बनवा दिया। ताकि, गरीब परिवार के बच्चे भी AI तकनीक पर आधारित शिक्षा प्राप्त कर सकें। इस स्कूल की छात्राएं फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती हैं और टैबलेट के जरिए पढ़ाई करती हैं।
राजधानी भोपाल के जहांगीराबाद स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय की प्राचार्य डॉ. उषा खरे इसी माह सेवानिवृत्त होने वाली हैं। रिटायरमेंट से पहले वह बच्चों व स्कूल के लिए कुछ ऐसा करना चाहती थीं, जिससे बच्चों में बड़ा बदलावा आ सके। सरकार ने AI शिक्षा पर जोर दिया तो प्राचार्य ने निजी खर्चे रोबेटिक लैब बनवाने का निर्णय लिया।
दरअसल, डॉ ऊषा खरे पिछले 13 वर्ष से जहांगीराबाद की कन्या शाला में ही पदस्थ हैं। लंबे कार्यकाल के चलते उनका स्कूल की छात्राओं से उनका खास लगाव हो गया है। कुछ दिन पहले उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) कर्मवीर अवार्ड में 17 लाख रुपए जीते थे। अवार्ड के तौर पर मिली यह राशि डॉ ऊषा ने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करने का निर्णय लिया है।
शिक्षा मंत्री ने किया शुभारंभ
जहांगीराबाद कन्या शाला में नवनिर्मित रोबोटिक्स लैब का शुभारंभ मंगलवार को स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने किया। इस लैब में स्टूडेंट्स को रोबोटिक्स की बारीकियां समझने में आसानी होगी। मंत्री ने बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को सम्मानित किया। उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान व छात्र संघ शपथ ग्रहण समारोह भी हुआ।
2017 में मिला राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान
डॉ. ऊषा खरे शिक्षा में नित नए नवाचार करती रही हैं। इसके लिए उन्हें 2017 में राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से नवाजा गया था। उन्हें राज्य स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है। केबीसी कर्मवीर एपीसोड में डॉ ऊषा के साथ ग्लोबल टीचर पुरस्कार से सम्मानित रणजीत सिंह डिसले भी शामिल हुए थे। वह महाराष्ट्र के सोलापुर में सरकारी शिक्षक हैं।