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Bhopal News: रिश्तों में बंध कर भी किसी रिश्ते में नहीं और भीड़ में रहकर भी है ‘अकेली’

भोपाल। शहीद भवन में बुधवार की शाम नाटक ‘अकेली औरत’ का मंचन किया गया यह कहानी हारियो के द्वारा लिखी गई है तथा इसका हिंदी अनुवाद हिमांशु जोशी ने किया। समृद्धि असाटी के निर्देशन व एकल अभिनय से सजे इस नाटक की कहानी एक महिला पर आधारित है, जिसमें वह रिश्तों में बंध कर भी किसी रिश्ते में नहीं है या यह कह सकते हैं कि वह भीड़ में रहकर भी अकेली है। अपने ही घर में कैद, इसका मतलब यह नहीं है कि वह घर उसका है ही नहीं, वह पिंजरे में बंद एक पक्षी की तरह है। न तो कोई उसकी भावनाओं को समझता है। ऐसे में नायिका को तलाश एक ऐसे इंसान की है जिससे वह खुलकर बात कर सके। उसे मानसिक और भावनात्मक रूप से संबल प्रदान करे।  

Akeli Aurat
 

नाटक की कहानी
नाटक में दिखाया कि नायिका ने 35 वर्ष के जीवन में कभी प्रेम नहीं पाया, प्रेम के नाम पर उसने पाया शारीरिक भोग और प्रताड़ना। जब जीवन में उसे प्रेम मिला तो वह उसेसे छीन लिया गया और उसे मिली घर की चार दीवारी के बीच कैद और उसने अपनी खुशियों को दुख में ढूंढना शुरू कर दिया है। अचानक एक दिन महसूस करती है कि उसके घर के सामने कोई रहता है वह उससे बात करने के लिए इतनी उत्सुक हो जाती है कि वह अपने जीवन में घटी घटनाओं को सुनाना चाहती है। नाटक में दिखाया गया कि एक आजाद औरत को सामाजिक तत्वों द्वारा किस तरह से भोग विलास की वस्तु मात्र समझा जाता है और वह रह जाती है एक जिंदा लाश।

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