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बस्तर आर्ट के कांथा वर्क के द्वारा बनाई गई साड़ी विशेष आकर्षण का केंद्र है। प्रदर्शनी के संयोजक एमएम जोशी ने बताया कि बस्तर आर्ट का कांथा वर्क की साड़ी बनाने में करीब 3 से 4 महीने का समय लगता है।

भोपाल। 10 नंबर स्थित राग भोपाली में आयोजित कोसा और कॉटन ऑफ छत्तीसगढ़ प्रदर्शनी में शनिवार को बड़ी संख्या में खरीददार पहुंचे। 23 जनवरी तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में स्थानीय बुनकरों द्वारा प्रदर्शित किया गया डिजाइनर कलेक्शन विशेष आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। छत्तीसगढ़ के जिला हाथकरघा और हस्तशिल्प की ओर से संयोजित प्रदर्शनी में सिल्क के कपड़े प्राकतिक रंग से तैयार किए गये है। जैसे पीला रंग गेंदे के फूल से बनाया गया है। काला रंग मशरूम और प्याज के रंग से तैयार किया गया है। इस प्रकार कोसे के कपड़े जो थान में यहां उपलब्ध हैं, उन पर वेजीटेबल कलर किया गया है। 

बस्तर का कांथा वर्क बना आकर्षण
बस्तर आर्ट के कांथा वर्क के द्वारा बनाई गई साड़ी विशेष आकर्षण का केंद्र है। प्रदर्शनी के संयोजक एमएम जोशी ने बताया कि बस्तर आर्ट का कांथा वर्क की साड़ी बनाने में करीब 3 से 4 महीने का समय लगता है। इसमें बस्तर के पारंपरिक पेड़-पौधे, जीव जंतुओं जैसे कुल 24 थीम को छोटी सुई और धागा के माध्यम से साड़ी में उकेरा जाता है। एक साड़ी की कीमत 7000 से 15000 रूपए तक है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा कई कारीगरों को इसका प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जिसके बाद स्थानीय स्तर पर लोग साड़ियों का उत्पादन कर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ का खास गमछा है विशेष
स्थानीय बुनकरों और शिल्पकारों के हुनर से तैयार गमछा अब छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति की नई पहचान बन चुका है। राज्य सरकार ने इसे राजकीय अतिथियों के लिए खास तौर पर छत्तीसगढ़ी टच वाला गमछा घोषित किया है। टसर सिल्क और खादी से बने इन गमछों पर गोदना चित्रकारी है जो अतिथियों के लिये आकर्षित करता है।

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