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इस समारोह में उन 200 व्यक्तियों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया, जिन्होंने बक्सवाहा आंदोलन में योगदान दिया और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Bhopal News: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में तेजी से काम करने की जरूरत है। भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हमें आज ही खुद से शुरुआत करनी होगी। यह बात राष्ट्रीय पर्यावरण संसद एवं बक्सवाहा सम्मान समारोह में देशभर के पर्यावरणविदों ने रखी। भोपाल में आयोजित इस समारोह में विशेषज्ञों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए सस्टेनेबल लाइफस्टाइल अपनाने पर जोर दिया, साथ ही जल, जंगल, जमीन और नदियों की सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला।

सस्टेनेबल लाइफस्टाइल की जरूरत
समारोह में विशेषज्ञों ने कहा कि यदि हम पर्यावरण को बचाना चाहते हैं तो सस्टेनेबल लाइफस्टाइल अपनानी होगी। सस्टेनेबल लाइफस्टाइल का मतलब है, ऐसा जीवन जीना जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाए। हमें अपने उपभोग की आदतों को बदलने, पानी की बर्बादी को रोकने और संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करने की जरूरत है।

पद्मश्री बाबूलाल दाहिया ने पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाते हुए कहा कि कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग हमारे मित्र कीटों जैसे केंचुए को खत्म कर रहा है। उन्होंने पारंपरिक जैविक खेती को फिर से अपनाने पर जोर दिया और बताया कि कैसे पानी की कमी और खेती के नए तरीकों से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी
पद्मश्री डॉ. श्याम सुंदर पालीवाल ने पर्यावरण के संरक्षण के लिए अपने जीवन के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे अपनी बेटी की मृत्यु के बाद उन्होंने हर बेटी के जन्म पर पेड़ लगाने का संकल्प लिया, जिससे उनके गांव में हरियाली फैल गई। उनके इस मॉडल को राजस्थान के 260 ग्राम पंचायतों ने अपनाया। पालीवाल का कहना था कि हमें समाज में सभ्य व्यक्ति की परिभाषा बदलनी होगी—अब जेंटलमैन वह होगा जिसने पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या किया और कितने पेड़ लगाए।

भारत के वन पुरुष पद्मश्री जादव पायेंग ने बताया कि कैसे उनके पेड़ लगाने के प्रयासों से इलाके में टाइगर, गैंडा और अन्य वन्यजीवों की कई प्रजातियां वापस आईं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि एजुकेशन सिस्टम में सुधार हो और उसमें पर्यावरण से संबंधित विषयों को ज्यादा महत्व दिया जाए।

जल संरक्षण और जागरूकता
समारोह में जल संरक्षण पर भी ध्यान दिया गया। वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर ने कहा कि हमें जल की बर्बादी को रोकने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने चाहिए, जैसे पीने के लिए उतना ही पानी लेना जितना आवश्यक हो। हमें स्मार्ट सिटी के साथ स्मार्ट विलेज भी बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

बक्सवाहा आंदोलन में योगदान देने वालों को मिला सम्मान
इस समारोह में उन 200 व्यक्तियों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया, जिन्होंने बक्सवाहा आंदोलन में योगदान दिया और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 5 प्रमुख पर्यावरणविदों को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड और 110 व्यक्तियों को पर्यावरण योद्धा सम्मान से नवाजा गया।


 

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