Bhopal News: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में दो दिवसीय कला धरोहर कार्यशाला की शुरुआत हुई। पहले दिन मंगलवार को प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका डॉ. सुभद्रा देसाई ने छात्रों को मीरा बाई के भजन सिखाएं। सुभद्रा देसाई ने पिया जी म्हारे नैना आगे रिजो जी, पायोजी मैंने राम रतन धन पायो जैसी पंडित कुमार गंधर्व द्वारा बनाई गई बंदिशों के रुप में मीरा बाई के भजनों की प्रस्तुतियां दीं।
यह आयोजन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय और संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में कला धरोहर कार्यशाला शुरू हुई। इसमें सुभद्रा देसाई ने मीरा बाई पर आधारित एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दीं, जिन्हें सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद सुभद्रा ने मीरा पदों में मैं तो बादल देख डरी री...., माई म्हारे सुपणवा में पड़नी गोपाल...सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया।
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इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने बताया कि यह पहल भारतीय प्रदर्शन कलाओं के ज्ञान को फैलाने और युवा प्रतिभाओं को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
भोपाल परिसर के निदेशक प्रो. रमाकांत पांडे ने बताया कि कला धरोहर न केवल छात्रों के लिए लाभकारी है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार में भी अहम योगदान दे रही हैं। कला धरोहर कार्यशाला का संयोजन डॉ. संगीता गुंदेचा और प्रवीण दुरेजा कर रहे हैं।
संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा ने बताया कि संगीत नाटक अकादमी की स्थापना भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार के उद्देश्य से की गई है। कला धरोहर कार्यशाला इसी सीरीज की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।