MP NEWS: जाने माने कथावाचक पंडित इंद्रेश उपाध्याय ईश्वर में श्रद्धा रखते हुए अपने आध्यत्म जीवन के साथ ही क्रिकेट खेलने में विशेष रूचि रखते हैं। क्रिकेट खेलने की प्रेरणा कथा वाचक को नशा करने वाले बच्चों से मिली। क्रिकेट से जुड़कर पंडित उपाध्याय ने उन बच्चों की आदत में सुधार करते हुए धर्म की ओर भी उन्हें मोड़ा।
जिंदगी में शामिल
जिसके बाद से वह खुद को शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रखने के लिए और सभी जगह के बच्चों से सीधे जुड़ने के लिए प्रति दिन सुबह क्रिकेट खेलते हुए पसीना बहाते हैं। क्रिकेट को अपनी जिंदगी में शामिल करने और उसके फायदे को लेकर वह अपनी बात बेबाकी से रखते हैं।
स्वाभाव और प्रतिभा
कथावाचक पंडित इंद्रेश उपाध्याय इस खेल के साथ सभी वर्ग के बच्चों के साथ जुड़ते हैं। क्रिकेट के साथ ही वह बच्चों को ईश्वरी शक्ति और आध्यत्म से भी जोड़ते हैं। पंडित इंद्रेश से जुड़ने वाले बच्चे भी उनके स्वाभाव और प्रतिभा को देखते हुए उनकी प्रशंसा करते नहीं थकते। अपने जीवन से जुड़े कुछ पहलुओं पर कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय ने जानकारी भी साझा की।
बिहार से प्रारंभ
पंडित इंद्रेश उपाध्याय प्रतिदिन सुबह करीब एक घंटे तक क्रिकेट खेलते हैं। रोजाना क्रिकेट खेलने के पीछे भी एक रोचक किस्सा उन्होंने साझा करते हुए बताया कि क्रिकेट खेलना उन्होंने बिहार से प्रारंभ किया। कथावाचक ने बताया कि जिस पंडाल में कथा का आयोजन होता था वहां पंडाल के पास मैदान में जो बच्चे आते थे, वह नशा बहुत करते थे और वहीं पास ही क्रिकेट खेला करते थे, लेकिन पंडाल में कथा सुनने नहीं आते थे।
आश्चर्य में पूछा
कथावाचक ने बताया कि एक दिन कथा से उतरकर वह उन बच्चों के पास पहुंचे जहां नशा करने के बाद बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। बच्चों के बीच पहुंच कर उन्होंने कहा कि लाओ बेटा हमको दो हम आज क्रिकेट खेलेंगे। बच्चों ने आश्चर्य में पूछा कि क्या आप हमारे साथ क्रिकेट खेलेंगे। तब उन्होंने हां में जवाब देते हुए कहा कि हम खेलेंगे और तुम हमको आउट करके दिखाओ। इसके बाद उनके साथ क्रिकेट मैच खेला, अगले दिन जब कथा शुरू हुई तो वहीं बच्चे जो नशा करते थे, पंडाल में कथा सुनने बैठे हुए थे। यह देख अच्छा लगा। इसके बाद से उन्होंने कथा के पहले सुबह बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने का सिलिसला शुरू कर दिया।