भोपाल (मधुरिमा राजपाल): मेरे पापा खुद एक अच्छे सिंगर थे और मुकेश के गीत गाया करते थे और वो संगीत के प्रति मेरी ललक को भांप चुके थे, इसलिए अपनी अच्छी खासी चलती हुई दुकान मां के भरोसे छोड़कर मेरा सपना पूरा करने मेरे साथ मुंबई रवाना हो गए, जबकि उस वक्त हमारी फाइनेंसियल कंडीशन भी अच्छी नहीं थी। यह कहना है प्रसिद्ध गायिका शुचिता व्यास का। शुचिता एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने भोपाल आईं। उन्होंने हरिभूमि से बातचीत में अपनी सिंगिंग जर्नी साझा की।
डेली पैदल जाते टी-सीरीज ऑफिस
शुचिता ने कहा कि मेरी असली जर्नी तो मुंबई से शुरू हुई, क्योंकि वहां हम एक रिलेटिव के घर कुछ दिन रहे, लेकिन उन्होंने फिर हमें निकाल दिया, फिर पापा और मैं रोजाना पैदल टी सीरिज के ऑफिस जाते और मैं अपना संगीत सुनाती तो यह स्ट्रगल मैं अपना नहीं कहूंगी क्योंकि मैं उस वक्त काफी छोटी थी तो असली स्ट्रगल मेरे पिता ने मेरे लिए किया।
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‘प्यारो मप्र’ में मप्र की बोलियों पर आधारित लोकगीत
उन्होंने कहा कि मेरी हाल ही में एक एलबम लांच हुई है ‘प्यारो मध्य प्रदेश’ जिसमें मप्र की अलग-अलग बोलियों निमाड़ी, मालवी, बुंदेलखंडी में मैंने अपनी आवाज दी है और इन बोलियों को सीखने दो साल तक काफी रियाज किया।
डांडिया किंग देवांग पटेल के साथ गरबा कंसर्ट के लिए वर्ल्ड टूर
उन्होंने कहा कि मैं राजस्थानी गीतों के साथ-साथ गुजराती गरबा में भी गाती हूं। इसी के चलते 2 वर्ष पहले अहमदाबाद के एक गरबा कंसर्ट में मोदी जी ने मुझे सम्मानित भी किया था, जो मेरे जीवन का सबसे खास पल रहा और डांडिया किंग देवांग पटेल के साथ मैंने गरबा के लिए वर्ल्ड टूर भी किया है।