Geographic Information Systems in MP: मध्य प्रदेश के शहरी इलाकों में अतिक्रमण व बिना अनुमति निर्माण पर नजर रखने प्रशासन हाइटेक व्यवस्था डेवलप कर रहा है। इसके लिए राजधानी भोपाल में जीआईएस लैब तैयार की जा रही है। जरूरी प्रक्रियाएं पूरी कर विभाग ने टेंडर जारी कर दिए हैं। इस लैब के जरिए प्रदेश के विभिन्न शहरों में होने वाले नवनिर्माण पर भोपाल से ही नजर रखी जा सकेगी।
दरअसल, राजस्व और पंजीयन विभाग की मदद से नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग नगरीय निकायों में जियोग्राफिकल इंफॉरमेशन सिस्टम (जीआईएस) संपत्तियों की मैपिंग करवा रहा है। भोपाल, इंदौर, सागर, मुरैना और ग्वालियर सहित कुछ शहरों में मैपिंग हो चुकी है। शेष शहरों में प्रक्रिया जारी है।
निगमायुक्त के मोबाइल पर जाएगी सूचना
मैपिंग के बाद किसी शहर में नवनिर्माण या अतिक्रमण होता है तो जानकारी भोपाल स्थित जीआईएस लैब में आ जाएगी। यहां बैठे कर्मचारी लगातार निर्माण की तस्वीरें देख सकेंगे। अतिक्रमण व अवैध निर्माण की सूचना संबंधित निगमायुक्त के मोबाइल पर भेजकर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया जाएगा।
इस तरह काम करेगी जीआइएस लैब
जीआइएस लैब में 15 एक्सपर्ट की टीम होगी, जो सैटेलाइट के साथ रिमोट सेंसिंग एजेंसी से मैप डेटा और लाइव फीड लेगी। इस डेटा के आधार पर संबंधित नगर निगम को सूचना भेजकर कार्रवाई कराई जाएगी। लैब से हर 15 से 30 दिन में फोटो अपडेट किए जाएंगे। इसमें अवैध निर्माण होता दिखा तो निगम टीम मौके पर पहुंचेगी। लापरवाही मिली ताो अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
लैब से पता चलेगा निर्माण अवैध या वैध
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के आयुक्त भरत यादव ने बताया कि पहले चरण में डेढ़ दर्जन शहरों में जीआइएस मैपिंग कराई गई है। जीआईएस लैब को लेकर प्रक्रिया जारी है। लैब से पता चल सकेगा कि निर्माण अवैध या वैध। इससे आगे की कार्रवाई में आसानी होगी।