भोपाल। शहडोल में फिर एक मासूम की जिंदगी अंधविश्वास की भेंट चढ़ गई। पांच माह के बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हुई तो उसे गर्म सलाखों से दागा। तबीयत बिगड़ी तो परिजन बच्चे को अस्पताल लेकर पहुंचे। इलाज के दौरान मासूम की मौत हो गई। यह पहला मामला नहीं, बल्कि कई बच्चे इस कुप्रथा का शिकार हो चुके हैं। बता दें कि शहडोल आदिवासी बाहुल्य जिला है। यहां मासूमों को गर्म सलाखों से दागने की प्रथा को आदिवासी इलाके में अंकना कुप्रथा करते हैं। इसी अंधविश्वास के भेंट कई मासूमों की जान चली गई।
पूरा मामला: बच्चे के शरीर पर दागने के निशान देख डॉक्टर हैरान
जानकारी के मुताबिक, शहडोल के पठरा गांव के रहने वाले रामदास कोल के पांच माह के पुत्र ऋषभ की तबीयत खराब हुई तो परिजन नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। डॉक्टरों की जांच में पता चला कि बच्चे को गर्म सलाखों से दागा गया है। उसके शरीर पर दागने के निशान मिले थे। आशंका जताई जा रही है कि बच्चे की तबीयत बिगड़ने के पहले परिजनों ने गर्म सलाखों से दागा था। जब उसकी हालत और बिगड़ गई तो परिजन उसे स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। वहां भी आराम नहीं हुआ तो जिला अस्पताल में भर्ती कराया। हालत की और गंभीर होने पर डॉक्टरों ने उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। जहां इलाज के दौरान मासूम की मौत हो गई। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे को सेप्टीसीमिया हो गया था।
3 माह की बच्ची को भी सलाखों से दागा था
बता दें कि हाल ही में 3 महीने की मासूम बच्ची को उसकी बीमारी ठीक करने के नाम पर बच्ची को कई बार सलाखों से दागा था। शहडोल मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई थी। निमोनिया और धड़कन तेज चलने की समस्या हुई थी तो परिजन ने कुप्रथा के अंधविश्वास में बच्ची को सलाखों दागा था। हालत बिगड़ने पर अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।
लगातार सामने आ रहे बच्चों को दागने के मामले
- 11 दिसंबर 2023 को 5 माह के मासूम को 21 बार गर्म सलाखों से दागा था।
- 45 साल के मासूम बच्चे को 51 बार गर्म सलाखों से दागा था।
- 4 माह के बच्चे को 40 बार गर्म सलाखों से दागा था।