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Balaghat Navratri festival : प्रिशीला पेशे से टीचर और मूलत: इटली की रहने वाली हैं। पिछले कई साल से वह फ्रांस में रह रही हैं। सोमवार, 7 अक्टूबर को बालाघाट में उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ नवरात्रि महोत्सव मनाया।

Balaghat Navratri festival : भारत की विविधता और समृद्ध संस्कृति से दुनियाभर के लोग प्रभावित हैं। फ्रांस की प्रिशीला को भी यहां की पूजा-पद्धति, वेशभूषा और खान-पान काफी पसंद हैं। लोगों के भक्तिभाव से वह इतना प्रभावित हुईं कि इसे करीब से समझने मध्य प्रदेश के बालाघाट पहुंच गईं।

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पेशे से टीचर प्रिशीला मूलत: इटली की निवासी हैं, लेकिन पिछले कई साल से फ्रांस में रह रही हैं। सोमवार को बालाघाट में वह नवरात्रि महोत्सव में शामिल हुईं और स्थानीय लोगों के साथ मां दुर्गा की पूजा अर्चना किया। महिलाओं के साथ गरबा नृत्य भी किया। 

फ्रांस में मां-बाप को छोड़ देते हैं बच्चे 
प्रिशीला भारतीय परंपरा और सनातन संस्कृति से काफी प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, फ्रांस सहित अन्य यूरोपीय देशों में 18 की उम्र के बाद मां-बाप बच्चों को अकेला छोड़ देते हैं, लेकिन भारतीय संस्कृति बिल्कुल अलग है। परिवारों की एकजुटता यहां एकता परिचायक है। यहां माता-पिता, दादा-दादी और नाती-पोतों का साथ रहना अद्भुत है।

भारत भ्रमण कर समझ रहीं संस्कृति 
प्रिशीला वर्तमान में फ्रांस की राजधानी पेरिस में रहती हैं। लेकिन उन्हें पंजाबी म्युजिक और डांस बेहद पंसद है। दिल्ली हैदरबाद, राजस्थान सहित विभिन्न प्रांतों और शहरों का भ्रमण कर वह वहां की वेशभूषा, धार्मिक आयोजन और लाजीज व्यंजनों को काफी करीब से देख समझ रही हैं। आग उनका प्लान पुडूचेरी जाने का प्लान है। 

खिलेश के आग्रह पर पहुंचीं
प्रिशीला बालाघाट निवासी खिलेश कोरी के आग्रह पर हैदराबद निवासी अपने एक मित्र के साथ सोमवार को बालाघाट पहुंचीं। यहां उन्होंने नवरात्रि उत्सव समारोह में शामिल होकर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की। बताया कि भक्ति और आध्यात्म को समझने के लिए वह यहां आई हैं। 

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दूर हो गईं समस्याएं
प्रिशीला ने बताया कि भारतीय परंपराएं और संस्कृति काफी समृद्ध है। मेरे जीवन में काफी समस्याएं थीं, लेकिन भारतीय संस्कृति का अनुसरण करने के बाद वह दूर गईं। यहां की पूजा पद्धति से मन को शांति, सुकून और शक्ति मिलती है। 

अन्य देशों में नहीं मिलता इतना प्यार सम्मान 
प्रिशीला ने कहा, परिवार में एक-दूसरे के प्रति इतना प्यार और सम्मान है कि तनाव कोषों दूर रहता है। यह परंपरा अन्य देशों में देखने को नहीं मिलती। मां दुर्गा के दरबार में एक साथ भक्ति में लीन भक्त, आकर्षित करने वाला क्षण है। 

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