MP Government: मध्य प्रदेश में मोहन यादव की सरकार ने कर्मचारी आयोग का कार्यकाल बढ़ाया है। यह कार्यकाल आगामी दिसम्बर माह तक के लिए बढ़ाया गया है। प्रदेश के 7 लाख से अधिक तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के वेतन की विसंगतियों को दूर करने के उद्देश्य से अवधि में इजाफा किया गया है।
कर्मचारियेां के हित में निर्णय
सरकार के वित्त मंत्री ने इस निर्णय को लेकर पूर्व से ही यह जानकारी दी है कि कर्मचारी आयोग द्वारा कर्मचारियों के वेतन विसंगतियों को लेकर जो रिपोर्ट तैयार की गई थी। वह रिपोर्ट सरकार के पास पहुंच चुकी है, अब सरकार इस रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद विसंगतियों को दूर कर कर्मचारियों के हित में निर्णय लेगी।
1984 से विसंगतियों की बात
सरकार के 50 से अधिक विभागों में लिपिक और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के वेतन की विसंगतियों की जानकारी सामने आ रही है। लिपिक कर्मचारी तृतीय श्रेणी में आते हैं, साल 1984 से पूर्व इनके वेतनमान समकक्ष कर्मचारियों से बढ़कर होता था। जबकि लंबे अंतराल से वर्तमान समय तक इन कर्मचारियों का वेतनमान उनके अनुसार कम है।
सदस्य आरोप लगा रहे
बता दें कि प्रदेश में सहायक ग्रेड-3 की ग्रेड-पे जिनमें डाटा एंट्री आपरेटर, पटवारी, पशु विभाग के कर्मचारी, ग्रामीण स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी जिनमें एएनएम, एमपीडब्ल्यू, शिक्षा विभाग में पदस्थ कर्मचारियों की वेतन विसंगति पर सरकार की ओर से निर्णय लिए जा रहे हैं। फिलहाल सरकार की ओर से कर्मचारी आयोग की रिपोर्ट के परीक्षण के मामले पर आयोग के सदस्य आरोप लगा रहे हैं। इन सदस्यों की ओर से यह कहा जा रहा है कि परीक्षण के दौरान मनचाही रिपोर्ट के तैयार होने का डर भी उन्हें सता रहा है।