भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत में बड़ी खलबली मच गई है। मैहर के पूर्व विधायक और 'विंध्य जनता पार्टी' के संस्थापक नारायण त्रिपाठी लोकसभा के रण में ताल ठोकेंगे। सतना सीट से नारायण त्रिपाठी बसपा के टिकट से चुनाव लड़ेंगे। गुरुवार को नारायण ने बसपा का दामन थाम लिया है। भाजपा के गणेश सिंह और कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा को मात देने की तैयारी में जुटे दिग्गज नेता नारायण त्रिपाठी ने 13 मार्च को हरिभूमि से खास बातचीत में कहा था कि वे सतना सीट से चुनाव लड़ेंगे। हरिभूमि की यह खबर 100 फीसदी सच साबित हुई। नारायण ने यह भी कहा था कि राजनीति में हूं तो कुछ बड़ा ही करूंगा।
नारायण ने कहा-सतना सीट जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक देंगे
नारायण ने हरिभूमि से खास बातचीत में कहा था कि वे सतना से लोकसभा चुनाव जीतने की रणनीति बना रहे हैं। सतना से बेहतर ढंग से चुनाव लड़ेंगे। विधानसभा चुनाव में मिली हार का कारण भी बताया था। पूर्व विधायक ने कहा था कि 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में उनके पास समय बहुत कम था। प्रचार-प्रसार भी नहीं कर पाए थे। कुछ षड्यंत्रकारी लोगों के कारण भी विधानसभा में उन्हें हार मिली थी। नारायण ने कहा कि विधानसभा में मिली हार का बदला वे लोकसभा में लेंगे। सतना सीट जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक देंगे।
इस बार नारायण खुद मैदान में हैं
नारायण ने भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों पर हमला बोलते हुए कहा था कि सतना की जनता न सिद्धार्थ कुशवाहा को पसंद करती है, न गणेश सिंह को। लोगों की मजबूरी है कि गणेश को हराना है तो सिद्धार्थ को अपनाना ही पड़ेगा। 2023 के विधानसभा में भी ऐसा ही हुआ था। गणेश को मिलकर हरवाया गया था। इसलिए सिद्धार्थ को जीत मिली थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में शंकरलाल तिवारी को हरवाया गया। तब सिद्धार्थ कुशवाहा चुनाव जीत पाए थे। नारायण ने कहा कि लोकसभा के रण में सिद्धार्थ और गणेश नहीं, बल्कि नारायण त्रिपाठी खुद मैदान हैं। जनता भी सतना लोकसभा सीट पर बदलाव चाहती है।
जानें नारायण का राजनीतिक सफर
नारायण त्रिपाठी ने राजनीतिक सफर 2003 में समाजवादी पार्टी के साथ शुरू किया था। पहली बार समाजवादी पार्टी के टिकट से विधायक बने। इसके बाद नारायण ने 2013 में कांग्रेस का 'हाथ' थामा और दूसरी बार विधायकी जीती। 2016 में हुए उपचुनाव में त्रिपाठी ने बीजेपी जॉइन कर ली और उपचुनाव जीत गए। 2018 के विधानसभा चुनाव में दोबारा बीजेपी के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे। बीजेपी ने 2023 विधानसभा चुनाव में मैहर से श्रीकांत चतुर्वेदी को टिकट दे दिया और फिर नारायण त्रिपाठी ने पार्टी छोड़कर खुद की पार्टी बनाकर विधानसभा की 25 सीटों पर उम्मीदवारी की थी। 2023 के विधानसभा में नारायण को हार का सामना करना पड़ा था।
जानें सतना सीट का इतिहास?
सतना सीट से भाजपा, कांग्रेस और बसपा को सांसद मिले हैं। 1989 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सतना सीट पर पहली बार उम्मीदवार उतारा था। तब से 2019 तक पिछले तीन दशक में हुए 9 चुनावों में सिर्फ एक बार बसपा चुनाव जीत सकी है। 1996 के चुनाव में बसपा के सुखलाल कुशवाहा ने चुनाव जीता था। उनकी जीत ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा और कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री कुंवर अर्जुन सिंह को हराया था। सुखलाल को उस समय 1 लाख 82 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। सुखलाल कुशवाहा, कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा के पिता थे। भाजपा ने यहां गणेश सिंह को टिकट दिया है। नारायण त्रिपाठी के सतना सीट पर उतरने से अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।