मधुरिमा राजपाल, भोपाल। मेरा जो डायलॉग मम्मी कैसी है काफी फेमस है और जिस पर लोग खूब हंसते हैं। अगर देखा जाए तो यह काफी सीरियस बात है क्योंकि बचपन से ही जितने भी लड़के होते हैं वह अपनी बात किसी से कह नहीं पाते। जो भी उनके साथ बुलिंग होती है या उनको दबाया जाता है। किसी भी तरह से समाज की ओर, से पेरेंट्स की ओर से,या दोस्तों की ओर से, तो वह अंदर ही अंदर भरता रहता है। जब वह पूरी तरह भर जाता है तो किसी न किसी रूप में फट पड़ता है बस ‘मम्मी कैसी हैं’ भी एक तरह से वही एक्सप्रेशन है कि तुम्हारी मां को जानता हूं। यह बड़ी इज्जत से दी हुई गाली है और कुछ नहीं। यह कहना है स्टैंडअप कॉमेडियन महीप सिंह का। वह भोपाल में मॉय बार हैडक्वाटर में परफॉर्म करने आए थे। इस मौके पर उन्होंने हरिभूमि से खास बातचीत में उन्होंने अपने एक्सपीरियंस शेयर किए।
कॉलेज टाइम में थिएटर किया है, लेखक भी हूं
मैंने कॉलेज टाइम में थिएटर किया है, लेखक भी हूं और कॉमेडी भी करता हूं लेकिन सारी विधाओं में खुद को पारंगत नहीं मानता हूं। लेकिन एक बात है कि मैं बचपन से ही जिस भी नई चीज को देखता हूं तो मेरी एक क्यूरोसिटी रहती है कि यह भी ट्राय किया जाए, वह भी कर लिया जाए क्योंकि कई बार आपके अंदर की अभिव्यक्ति किसी एक विधा से नहीं निकल पाती।
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40 की उम्र में पता चला कि स्टैंडअप कॉमेडी जैसी कोई चीज है
बचपन से मुझे स्टैंडअप कॉमेडी के बारे में पता ही नहीं था। दरअसल मैंने किसी और को स्टैंडअप कॉमेडी करते देखा तो उनसे पूछा कि यह कहां होती है। आज से आज से 12-13 साल पहले स्टैंडअप कॉमेडी का इतना हल्ला नहीं था। 4-5 लोग थे, वही मिलजुल कर करते रहते थे तो उनमें हम भी शामिल हो गए।
शो बिल्कुल भी स्क्रिप्ट नहीं होता
रैना मेरे दोस्त हैं उन्होंने मुझे इंडियाज गॉट लेटेंट कॉमेडी शो में बुलाया और इस तरह मैं उनकी टीम में शामिल हो गया और मैं बता दूं कि यह शो बिल्कुल भी स्क्रिप्ट नहीं होता है उस शो में जो भी होता है वह बिल्कुल रियल होता है और एट द मोमेंट होता है। एक प्रकार से देखा जाए तो कॉमेडी करना मैंने 40 साल की उम्र में शुरू किया।