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Lok Sabha Chunav Phase-4: मध्य प्रदेश की जिन 8 लोकसभा सीटों में 13 मई को मतदान है, वहां 5 महिलाओं सहित कुल 74 उम्मीदवार किस्मत अजमा रहे हैं। 2019 में सभी सीटें भाजपा ने जीत दर्ज की थी।  

Lok Sabha Chunav Phase-4: देश के 10 राज्यों में 13 मई को 96 लोकसभा सीटों के लिए चौथे चरण की वोट होनी है। इनमें मालवा-निमाड़ से आने वाली मध्यप्रदेश की आठ सीटें शामिल हैं। इन सीटों में इंदौर, उज्जैन देवास, मंदसौर, रतलाम, धार, खरगोन और खंडवा लोकसभा सीट में चुनाव होने हैं। 

मध्य प्रदेश की जिन 8 सीटों में 13 मई को मतदान है, वहां कुल 74 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें से 5 महिलाएं भी शामिल हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुपम राजन ने बताया कि आठ सीटों के लिए 18007 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। सर्वाधिक 14 प्रत्याशी इंदौर में हैं। जबकि, रतलाम में 12, उज्जैन में 9, देवास में 8, मंदसौर में 8 और धार में 7 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन सीटों में मुस्लिम वोटर्स की भूमिका भी अहम है।  

MP की आठ सीटों में भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवार 

लोकसभा क्षेत्र कुल प्रत्याशी भाजपा  कांग्रेस 
इंदौर 14 शंकर लालवानी  कोई नहीं 
रतलाम  12 अनीता नागर सिंह कांतिलाल भूरिया 
धार  7 सावित्री ठाकुर  राधेश्याम मुवेल 
खंडवा    ज्ञानेश्वर पाटिल  नरेंद्र पटेल 
खरगोन  5 गजेंद्र सिंह पटेल  पोरलाल खरते 
देवास  8 महेंद्र सोलंकी  राजेंद्र मालवीय 
उज्जैन  9 अनिल फिरोजिया  महेश परमार 
मंदसौर  8 सुधीर गुप्ता  दिलीप सिंह गुर्जर 

MP की किस सीट पर कैसा मुकाबला

  • रतलाम में कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया तो भाजपा ने कैबिनेट मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता नागर को प्रत्याशी बनाया है। दोनों में कड़ी टक्कर है। रतलाम, झाबुआ और आलीराजपुर जिले की आठ सीटों को मिलाकर बनी इस सीट में आदिवासी मतदाओं की अहम भूमिका है। 
  • उज्जैन लोकसभा सीट में भाजपा ने सिटिंग सांसद अनिल फिरोजिया और कांग्रेस ने दो बार के विधायक महेश परमार को मैदान में उतारा है। दोनों में कड़ी टक्कर मानी जा रही है, लेकिन भाजपा ने प्रतिष्ठा का सवाल मानकर हर हाल में जीतना चाहती है। उज्जैन मुख्यमंत्री मोहन यादव का गृहक्षेत्र है। इसलिए सांसद से ज्यादा सीएम की साख दांव पर है। 
  • मंदसौर में भाजपा ने सुधीर गुप्ता तो कांग्रेस ने चार बार विधायक रहे दिलीप सिंह गुर्जर को मैदान में उतारा है। ग्वालियर चंबल और राजस्थान से लगी इस सीट पर गुर्जर मतदाता पर्याप्त मात्रा में हैं। यही कारण है कि दोनों दलों में कड़े मुकाबले केआसार हैं। 
  • खरगोन में भाजपा ने गजेंद्र सिंह पटेल तो कांग्रेस ने पोरलाल खरते को प्रत्याशी हैं। दोनों में अच्छी टक्कर है। खरते सेल टैक्स अधिकारी रहे हैं। आदिवासियों में अच्छी पकड़ भी मानी जाती है। हालांकि, भाजपा के गजेंद्र सिंह पटेल भी अनुभवी और जमीनी नेता हैं। 
  • देवास में भाजपा ने सिटिंग महेन्द्र सोलंकी तो कांग्रेस ने राजेंद्र मालवीय को उम्मीदवार बनाया है। देवास, शाजापुर और सीहोर जिले की आठ विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी यह सीट जनसंघ के जमाने से भाजपा का गढ़ है। हालांकि, 2009 में सज्जन सिंह वर्मा ने थावरचंद्र गहलोत को हराकर चौंका दिया था। इस चुनाव में भी कांग्रेस की ओर से सज्जन की साख दांव पर है।  
  • धार और खंडवा लोकसभा सीट भी लंबे समय से भाजपा के कब्जे में हैं। धार में कांग्रेस ने राहुल गांधी के रणनीतिकार रहे राधेश्याम मुवेल को प्रत्याशी बनाया है। जबकि, भाजपा ने पूर्व सांसद सावित्री ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। धार लोकसभा क्षेत्र सरदारपुर, मनवार, बदनावर, गंधवानी, धर्मपुरी, डॉ. अंबेडकरनगर-महू, कुक्षी और धार विधानसभा सीटें शामिल हैं। इसी तरह खंडवा में भाजपा के सिंटिंग सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और नरेंद्र पटेल के बीच मुकाबला है। 

इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा में शामिल 
इंदौर लोकसभा सीट भी भाजपा और संघ का मजबूत गढ़ मानी जाती है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन यहां से 9 बार सांसद रहीं। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी को हराया था। पिछली बार उनका टिकट काटकर भाजपा ने शंकर लालवानी को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने कांग्रेस के पंकज संघवी को हराया था। शंकर दूसरी बार मैदान में हैं, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम ऐन वक्त में नामांकन पत्र वापस लेकर भाजपा ज्वाइन कर ली। जिसके बाद इंदौर सीट देशभर की सुर्खियों में है। बम के इस कदम से कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपा के लोग भी हैरान हैं। जनता में निराश और नाराज है। 

10 साल से भाजपा के कब्जे में सभी आठ सीटें 
2019 में मालवा निमाड़ की सभी आठ सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भाजपा को 58 प्रतिशत जबकि, कांग्रेस को 37 प्रतिशत वोट मिले। 4.2 प्रतिशत मत उम्मीदवारो के खाते में गए थे। 2014 में भी यह सभी सीटें भाजपा के कब्जे में गईं थी। हालांकि, रतलाम की सीट कांग्रेस ने उपचुनाव में जीत ली थी। 

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