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Sickle Cell Disease : विश्व सिकलसेल दिवस-2024 दुनिया भर के देशों में जागरूकता के साथ मनाया जा रहा है। सिकलसेल एनीमिया रोग बीमारी है, इस बीमारी के प्रसार को आगामी पीढ़ी में जाने से रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं की प्रीनेटल डायग्नोसिस 'संकल्प इंडिया' के सहयोग से अभियान चलाया जा रहा है।

Sickle Cell Disease : विश्व सिकलसेल दिवस-2024 दुनिया भर के देशों में जागरूकता के साथ मनाया जा रहा है। मध्य प्रदेश में भी इस मौके पर शासकीय चन्द्र विजय महाविद्यालय डिंडोरी में राज्य स्तरीय कार्यक्रम चल रहा है। कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल उपस्थित होने के लिए पहुंचे हैं।

सिकलसेल एनीमिया की रोकथाम एवं उपचार के लिए मिशन
सिकलसेल एनीमिया रोग बीमारी है, इस बीमारी के प्रसार को आगामी पीढ़ी में जाने से रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं की प्रीनेटल डायग्नोसिस 'संकल्प इंडिया' के सहयोग से अभियान चलाया जा रहा है। सिकलसेल एनीमिया की रोकथाम एवं उपचार के लिए 15 नवम्बर 2021 जनजातीय गौरव दिवस को राज्य हिमोग्लोबिनोपैथी मिशन का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। मिशन में अलीराजपुर एवं झाबुआ जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुल 9 लाख 17 हजार जनसंख्या की स्क्रीनिंग की गई। द्वितीय चरण में प्रधानमंत्री मोदी ने एक जुलाई 2023 को राष्ट्रीय स्तर पर 'सिकल सैल उन्मूलन मिशन' 2047 का शुभारंभ शहडोल जिले से किया था। इस 'राष्ट्रीय सिकलसेल उन्मूलन मिशन' में देश के 17 राज्य शामिल हैं।

आदिवासी बाहुल्य 89 ब्लाकों में की जाएगी स्क्रीनिंग
मिशन में मप्र के आदिवासी बाहुल्य जिलों के 89 ब्लाक में लगा एक करोड़ 11 लाख नागरिकों की सिकल सेल स्क्रीनिंग की जायेगी। द्वितीय चरण में अब तक 49 लाख 17 हजार जनसंख्या की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इसमें से एक लाख 20 हजार 493 सिकल वाहक एवं 18 हजार 182 सिक्कल रोगी चिन्हित किए गए हैं। सिकलसेल रोगियों की जांच एवं उपचार सुविधाओं के सुदृढीकरण के लिए प्रत्येक जिला चिकित्सालय में एचपीएलसी मशीन से पुष्टीकरण जांच की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त अन्य जांच जैसे- सीबीसी, टोटल आयरन सीरम फेरिटिन आदि जांचों की व्यवस्था निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। सिकलसेल एनीमिया की पुष्टिकरण जांच पीओसी किट से स्क्रीनिंग स्थल पर त्वरित जांच परिणाम प्राप्त कर सिकल रोगी का प्रबंधन किया जा रहा है।



समुदाय स्तर पर स्क्रीनिंग के जरिए रोगी की पहचान
22 लाख 96 हजार जेनेटिक कार्ड किए जा चुके हैं वितरित आदिवासी बाहुल्य इलाकों में सिकलसेल एनीमिया की व्यापकता अधिक है। सिकलसेल एनीमिया आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में एक अहम स्वास्थ्य समस्या है। बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए समुदाय स्तर पर स्क्रीनिंग के जरिए रोगी की पहचान कर जेनेटिक काउंसलिंग एवं प्रबंधन करना अत्यंत आवश्यक है। मप्र में अथ तक 22 लाख 96 हजार जेनेटिक कार्ड वितरित किए जा चुके है। स्क्रीनिंग में चिन्हित सिकलसेल रोगियों को उपचार, औषधि एवं सम्पूर्ण प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं निरंतर निगरानी के लिए ट्रीटमेंट एवं फॉलोअप बुकलेट तैयार की गई है।

ब्लड सेंटरों का भी सुदृढीकरण किया गया है
ब्लड-ट्रांसफ्यूजन के लिए प्रदेश के ब्लड सेंटरों का किया गया है सुदृढ़ीकरण पुष्टिकरण जांच में पॉजिटिव पाए आर सिकल रोगियों का जिला स्तर पर संचालित एकीकृत उपचार केन्द्र में प्रबंधन एवं उपचार किया जा रहा है। समस्त रोगियों को ठाइ हॉक्स यूरिया, फोलिक एसिड क्वाइयों का वितरण तथा जरूरत के अनुसार निशान रक्ताधान दिया जा रहा है। सिकल सेल रोगियों को सुरक्षित बन ट्रांसफ्यूजन के लिए प्रदेश के ब्लड सेंटरों का भी सुदृढीकरण किया गया है। सिकल सेल स्क्रीनिंग की रिपोर्ट एवं डाटा ट्रैकिंग के लिए मोबाइल एप एवं नेशनल सिकलसेल पोर्टल विकसित किया गया है।

नवजात शिशुओं की जांच के लिए एम्स भोपाल में लैब
नवजात शिशुओं में जन्म के 72 घंटे के अंदर विशेष जांच के लिए सान्स मोपाल में लैब स्थापित कर आदिवासी बाहुल्य जिलों से भेजे गए सैम्पलों की जांच प्रारंभ की गई है। सिकल सेल एफजीलिया की स्क्रीनिंग तथा प्रबंधन के प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहयोग आईसीएम आर एका आईआरटीएच जबलपुर से दिया जा रहा है। इसके तहत प्रदेश के समस्त 89 आधिवासी बाहुल्य विकासखण्डों में पदस्थ प्रबंधकीय एवं चिकित्सकीय स्टाफ के साथ-साथ मैदानी कार्यकताओं को प्रशिक्षित किया गया है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने की सीएम मोहन की सराहना 
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीएम मोहन यादव की सराहना करते हुए कहा कि सरलता से प्रभावी बात करने वाले और कम समय में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले हैं हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव। उन्होंने यह भी कहा की हर स्थान किसी न किसी के लिए शुभ होता है और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के लिए इस जिले का प्रभारी होना, इतना शुभ पड़ा कि वे पूरे प्रदेश के ही प्रभारी बन गए।

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