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मध्यप्रदेश के मालवा की पहचान सीताफल से भी है। यहां के सीताफल दुनियाभर में मशहूर है। 'मालवा का मावा' के नाम से प्रसिद्ध इस फल के मिठास की पूरी दुनिया कायल है। जानिए इसकी खासियत, कारोबार और कीमत।

Sitaphal of Malwa: मध्यप्रदेश का मालवा सीताफल का गढ़ है। 'मालवा का मावा' नाम से मशहूर सीताफल विशिष्ट स्वाद और मिठास से दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। नरसिंहगढ़ (राजगढ़) और मांडू (धार) की वादियों में मिलने वाले सीताफल की अनूठी मिठास का हर कोई कायल है। सीताफल की डिमांड भारत समेत सऊदी अरब, इटली, श्रीलंका सहित न्यूजीलैंड तक है। मांडू और नरसिंहगढ़ के हजारों पेड़ों में सीताफल पैदा होते हैं। अक्टूबर और नवंबर में सीताफल की बहार आती है। आइए जानते हैं मालवा के सीताफल की खासियत क्या है? कितने का कारोबार है? दुनियाभर में क्यों प्रसिद्ध है?

सीताफल का कारोबार 
राजगढ़ में 3000 हेक्टेयर में सीताफल की पैदावार होती है। अकेले नरसिंहगढ़ में 600 क्विंटल सीताफल पैदा हो रहा है। बाजार में कीमत-10 से 50 रुपए प्रति फल है। हर साल करीब करोड़ों का कारोबार है। आसपास के जिलों के अलावा यूपी, महाराष्ट्र और राजस्थान में सीताफल भेजा जाता है। विशेष डिमांड पर दुबई, इटली, श्रीलंका में भी डिलीवरी होती है। राजगढ़ के सारंगपुर में भी सीताफल की अच्छी खेती है। सारंगपुर के सीताफल का निर्यात महाराष्ट्र, पं. बगांल और दिल्ली तक होता है।

3 किलो सीताफल के 30 हजार रुपए 
सीताफल कारोबारी प्रेम गुर्जर का कहना है कि राजगढ़ के पाटन में सबसे ज्यादा सीताफल पैदा होता है। मांडू में भी इसकी अच्छी पैदावार है। ओवरऑल मध्यप्रदेश में हर साल अनुमानित 100 टन सीताफल की पैदावार होती है। यहां का देशी सीताफल भारत के विभिन्न राज्यों सहित विदेशों में भी भेजा जाता है। सऊदी अरब, इटली और श्रीलंका से तो हर साल आर्डर मिलते हैं। पांच किलो से लेकर डिमांड के हिसाब से आर्डर रिश्तेदारों आदि के माध्यम से भेजते हैं। कीमत भी उसी हिसाब से रहती है। हवाई जहाज के किराए समेत पांच किलो फल के लिए 30 हजार रुपए तक मिल जाते हैं।

हजारों पेड़ों की हर साल लग रही बोली 
मांडू में सीताफल के कई बगीचे हैं। हजारों पेड़ों से सीताफल पैदा होता है। प्रतिवर्ष इन बगीचे की बोलियां भी लगती हैं। निजी संस्थाओं और शासन को हजारों रुपए की राशि मिलती है। बाजार में फल की प्रति टोकरी 300 से 800 रुपए तक बिक रही है। मांडू से जोधपुर ,जयपुर ,अहमदाबाद, इंदौर, पुणे, मुंबई, हैदराबाद सीताफल भेजा जा रहा है। विदेशों में भी मांडू का सीताफल एक्सपोर्ट किया जाता है। मांडू के गरीब आदिवासी वर्ग के लिए सीताफल का व्यवसाय उन्हें रोजगार में संजीवनी भी प्रदान करता है।

प्राचीन काल से हैं सीताफल के पेड़ 
सीताफल का उपयोग मिठाई निर्माण में विशेष तौर पर किया जाने लगा है। इसका शेक भी दुनियाभर में पसंद किया जाता है। सीताफल से शक्कर भी बनाई जाती है। सीताफल से जुड़े व्यवसायियों के अनुसार कुछ औषधियों में भी सीताफल और उसके बीजों का उपयोग होता है। सीताफल के पेड़ मांडू में प्राचीन काल से हैं जो यहां कहते हैं उसका भी एक सशक्त जीवंत उदाहरण है। 

सीताफल खाने के फायदे

  • सीताफल कम कैलोरी और उच्च फाइबर वाला फल है, जो वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। 
  • इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो अस्थमा के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
  • मौजूद पोषक तत्व हृदय स्वास्थ्य को सुधारते हैं और हार्ट अटैक के जोखिम को कम करते हैं।
  • पाचन क्रिया को सुधारता है। कब्ज की समस्या दूर करता है। 
  • कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
  • पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मददगार है।
  • नियमित सेवन कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने में सहायक हो सकता है।
  • सीताफल आयरन का अच्छा स्रोत है, जो एनीमिया से लड़ने में मदद करता है।

खासियत: 
मालवा के सीताफल की कई खासियत हैं। सीताफल पूर्ण रूप से जैविक है। पेड़ों पर किसी भी प्रकार का रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है। अंग्रेजी में इसे "शुगर एप्पल" के साथ-साथ "कस्टर्ड एप्पल" के नाम से भी जाना जाता है। सीताफल अनोखी मिठास से प्रसिद्ध हैं। फल का गूदा मीठे स्वाद वाला और सुगंधित होता है। जिसके अंदर सफेद से हल्के क्रीम जैसा गूदा होता है। इसी मिठास के कारण दुनियाभर में सीताफल प्रसिद्ध हैं। प्राकृतिक शक्कर वाले स्वादिष्ट फल को इसीलिए मालवा का मावा कहा जाता है। 

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