भोपाल। प्रख्यात मीडिया शिक्षक स्वर्गीय पुष्पेंद्र पाल सिंह की पहली पुण्यतिथि रविवार 10 मार्च की शाम भोपाल स्थित हिंदी भवन में आयोजित हुई। जिसमें बड़ी संख्या में उनके विद्यार्थी, परिजन तथा उनसे जुड़ाव रखने वाले शहर के तमाम गणमान्य लोग एकत्रित हुए।
साया बैंड की प्रस्तुति
कार्यक्रम की शुरुआत सुप्रसिद्ध साया बैंड की प्रस्तुति से हुई। बैंड ने अपनी मधुर मनमोहक प्रस्तुति में दुष्यंत कुमार की गजलों, माखन लाल चतुर्वेदी, भवानी प्रसाद मिश्र, कबीर और मीरा सहित अनेक जाने माने रचनाकारों की रचनाओं को पिरोया। उनके द्वारा पेश की गयी— साये में धूप, पुष्प की अभिलाषा, सतपुड़ा के घने जंगल समेत अनेक विचारोत्तेजक प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
रक्तदान शिविर का हुआ आयोजन
आयोजन के दौरान भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र में सहयोग से रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया । जहां उनके परिजन और विद्यार्थियों सहित बड़ी संख्या में लोगों ने रक्तदान किया। कार्यक्रम के दौरान सिंह के अनेक विद्यार्थियों ने उनसे जुड़ी अनेक यादों को आपस में साझा किया।
पत्रकारिता की चुनौतियां विषय पर व्याख्यान
वरिष्ठ पत्रकार संदीप पुरोहित ने एआई के दौर में पत्रकारिता की चुनौतियां विषय पर अपने व्याख्यान में कहा, "आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का खतरा नया नहीं है लेकिन हाल के समय में यह बढ़ गया है। इसमें बहुत विविधता आयी है, इसका विस्तार हुआ है।" उन्होंने कहा कि सन 1950 के दशक से एआई हमारे बीच बना हुआ है। सोशल मीडिया के आगमन ने पाठकों के पास सूचना के अनेक तात्कालिक माध्यम पहुंचा दिए हैं। उन्हें अगले दिन सुबह अखबार की आवश्यकता महसूस नहीं होती। कल्चरल सीमाएं टूटी हैं। मोबाइल इंटरनेट के आगमन ने टेलीविजन को पीछे छोड़ दिया। राजनीतिक दल अपना कथानक तैयार करने के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं।"
लघु फिल्म का प्रसारण
कार्यक्रम के दौरान पीपी सिंह के विद्यार्थियों के वक्तव्यों पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रसारण भी किया गया जिसमें उनके विद्यार्थियों ने अपने अनुभवों को याद करके बताया कि किस तरह पीपी सिंह के सानिध्य, उनकी सलाह और उनकी उपस्थिति ने उनके जीवन में निर्णायक परिवर्तन लाए। छात्र—छात्राओं ने बताया कि कैसे सिंह उनके निजी जीवन से लेकर पेशेवर जीवन तक हर मुश्किल वक्त में उनके साथ खड़े रहते थे।
मूल्य आधारित था पीपी सिंह का जीवन
"पुष्पेंद्र पाल सिंह ने हमेशा सरोकारों और सकारात्मक मूल्यों पर आधारित जीवन को जिया है। उनके विद्यार्थी तथा उनसे जुड़े अन्य लोग यदि उन सरोकारों का एक हिस्सा भीं अपने जीवन में उतार पाये तो यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि कहलाएगी।" यह बात वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर ने पीपी सिंह की पुण्य तिथि के अवसर पर उन्हें याद करते हुए कही।
गिरिजा शंकर ने पीपी सिंह के साथ अपने रिश्तों को बहुत शिद्दत से याद किया, "एक वर्ष बीत गये लेकिन लगता नहीं है कि पीपी सिंह हमारे बीच नहीं हैं। हममें से किसी ने कभी उन्हें तनाव में नहीं देखा। जिस दिन से मैंने उन्हें जाना मैंने कभी उन्हें चैन से बैठा नहीं पाया। वह बहुत हिम्मत, संयम और धैर्य के साथ मुश्किल परिस्थितियों से पार पाते गये। वह अपनी चिंता क्यों नहीं कर सके यह एक विचारणीय प्रश्न है। वह रात—रात भर और कई बार सुबह तक काम किया करते थे। उन्हें जीवन में अनुकूल माहौल बहुत कम मिला लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी किसी का भरोसा नहीं तोड़ा। उनके बिना न केवल भोपाल बल्कि पूरे देश के सार्वजनिक जीवन में रिक्तता आयी है। उन्होंने जिन जीवन मूल्यों को जिया उसका बहुत छोटा हिस्सा भी अगर विद्यार्थी अपने जीवन में उतार सकें तो यह बहुत बड़ी बात होगी।"