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Farmer Success Story: देश में हर साल हजारों किसान घाटे के चलते खेती से तौबा कर लेते हैं, लेकिन अलीराजपुर के छोटा उंडवा निवासी युवराज सिंह ने अपनी उन्नत सोच से खेती को न सिर्फ लाभ का धंधा बनाया, बल्कि युवाओं के लिए प्ररेणास्रोत बने हुए हैं। 

Farmer Success Story: मन में दृढ इच्छा शक्ति और कुछ करने का जज्बा हो तो सफलता कदम चूमती है। इन लाइनों को सार्थक कर दिखाया है। मध्य प्रदेश के जागरूक किसान युवराज सिंह ने। युवराज आदिवासी बहुल्य अलीराजपुर जिले में बागवानी और खेती में नवाचार का ऐसा नमूना पेश किया कि युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए। सात साल पहले उन्होंने अपने पुस्तैनी बगीचे में आम की विभिन्न प्रजाति 500 पौधे रोपे थे, जो हर साल उन्हें लाखों की आमदनी देते हैं। युवराज के बगीचे में होने वाले आमों की भारत ही नहीं विदशों में भी अच्छी खासी डिमांड है। आम की ज्यादातर बिक्री ऑनलाइन ही करते हैं। 

युवराज ने बताया, अलीराजपुर के छोटा उंडवा गांव स्थित उनके पुश्तैनी बागीचे में लंगड़ा, चौसा, केसर, सिंदूरी, हापुस और राजापुरी सहित करीब 26 वैरायटी के आम का उत्पादन होता है। गत वर्ष उन्होंने ऑनलाइन मार्केटिंग कर 4 से 5 लाख के आम बेचे थे। 5 किलो के बॉक्स तैयार कर वह सीधे ग्राहकों तक आम की डिलेवरी करते हैं। कुछ आम मंडी में भी बेचते हैं, लेकिन पैकिंग के बिना नहीं। 

अनूठे स्वाद के लिए ख्यात है अलीराजपुर का आम
युवराज ने बताया कि अलीराजपुर जनजातीय क्षेत्र है। यहां उद्योग-धंधे न के बराबर हैं। खेती किसानी और वनोपज ही लोगों की आय का मुख्य साधन है। अलीराजपुर में आम की बड़ी मंडी है। यहां की मिट्टी भी आम के लिए उपयुक्त है। नमी पर्याप्त होने के कारण आम की पैदावार और उसका स्वाद भी अच्छा है। अलीराजपुर का आम अपने अनूठे स्वाद के लिए जाना जाता है। अलीराजपुर के आमों की खासियत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि सीजन के पहले ही लोग आम की बुकिंग कर एडवांस पेमेंट कर देते हैं। युवराज भी पहले खेत से ही आम की बिक्री कर देते थे, लेकिन अब ऑनलाइन बिक्री शुरू कर दी। 

नूरजहां आम...बजन 5 किलो, कीमत 1 हजार 
युवराज के बगीचे में वैसे तो विभिन्न वैरायटी के  2 हजार से अधिक पेड़ लगे हैं, लेकिन नूरजहां आम इनमें विशेष है। कुछ वर्ष पहले उन्होंने कट्ठीवाड़ा से यह पौधा ग्राफ्टिंग करके लाए थे। इसकी खासियत यह है कि एक आम का वजन लगभग तीन किलो होता है। इसकी कीमत एक हजार रुपए प्रति किलो है। युवराज सिंह ने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा और पिताजी को देते हैं। बताया कि, उन्हीं की प्रेरणा से 7 साल पहले मैंने 500 आम के पौधे बागीचे में लगाए थे, जाे बढ़कर 2 हजार से अधिक हो गए। उन्नत किस्म और नवाचार के लिए पिछले 10 साल में कई बार पुरस्कृत भी किए जा चुके हैं।  

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