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MP Government Action : मध्य प्रदेश में सरकार ने नर्सिंग अनियमितता मामले में तत्कालीन रजिस्ट्रार मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल सुनीता शिजू को सेवा से बर्खास्त कर दिया। जारी आदेश में यह कहा गया है कि शिजू ने पदेन कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया। इस आधार पर यह निर्णय लिया गया है।

MP Government Action : मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार ने नर्सिंग अनियमितता मामले में पहली बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने तत्कालीन रजिस्ट्रार मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल सुनीता शिजू को सेवा से बर्खास्त कर दिया। इन पर कई अनियमित कॉलेजों को मान्यता देने का आरोप था। सुनीता शिजु के बर्खास्त आदेश में यह कहा गया है कि शिजू ने पदेन कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया। इस आधार पर यह निर्णय लिया गया है।

सघन जांच कर कड़ी कार्रवाई
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नर्सिंग संस्थाओं में अनियमितता के मामले में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस मामले में विभाग की ओर से सघन जांच कर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इसके तहत मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं अधिष्ठाता गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल ने सुनीता शिजू तत्कालीन रजिस्ट्रार मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल एवं वर्तमान स्टॉफ नर्स, चिकित्सा महाविद्यालय दतिया को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त करने का आदेश किया है।

मान्यता देने की जांच में गड़बड़ी की
नर्सिंग काउंसिल में पदस्थ रहने के दौरान उन्होंने विभिन्न अपात्र नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने की जांच में गड़बड़ी की।  शिजू मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल भोपाल में रजिस्ट्रार के पद पर 22 सितंबर 2021 से 24 अगस्त 2022 तक पदस्थ थीं। बता दें कि वर्तमान में प्रदेश में नर्सिंग घोटाले के मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है। इस मामले में सरकार की ओर से भी कड़ा रुख अपनाया जा रहा है।

प्रकरण अत्यंत गंभीर प्रवृति का होने की वजह से कार्रवाई
चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल के अधिष्ठाता (डीन) ने पिछले वर्ष 20 जुलाई को आरोप पत्र तथा 4 अगस्त को अतिरिक्त अधिरोपित आरोप पत्र शिजू को जारी किया था। प्रकरण अत्यंत गंभीर प्रवृति का होने के कारण कार्यालय अधिष्ठाता गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल ने विभागीय जांच संस्थित की। जांच में सुनीता शिजू ने पदस्थी अवधि के दौरान गंभीर अनियमितताएं की। इस कृत्य के कारण प्रदेश में कई नर्सिंग संस्थाओं की गलत मान्यताएं जारी करने से प्रवेशस्त छात्र-छात्राओं का भविष्य संकटपूर्ण हुआ तथा प्रदेश की नर्सिंग शिक्षा व्यवस्था की छवि धूमिल हुई।

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