OBC Reservation: मध्य प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होनी है। कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन लगाई है। पिटीशन में 13 प्रतिशत OBC आरक्षण होल्ड करने वाले अंतरिम आदेश पर रोक लगाए जाने या आदेश निरस्त करने की मांग की गई है। वहीं मप्र सरकार ने जबलपुर हाईकोर्ट में विचाराधीन केस सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की पिटीशन दायर की है। जिस पर आज सुनवाई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तय होगा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में चलेगा या हाईकोर्ट इस पर सुनवाई करेगा।
OBC आरक्षण पर 60 से ज्यादा याचिकाएं
जबलपुर हाईकोर्ट में OBC आरक्षण से जुड़ी 60 से ज्यादा याचिकाएं विचाराधीन हैं। कई दौर की सुनवाई भी हुई, लेकिन इस बीच राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक ट्रांसफर एप्लीकेशन लगाकर सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर एक साथ सुनवाई की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर पिटीशन के चलते हाईकोर्ट ने सुनवाई रोक दी है। जब तक सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर एप्लीकेशन पर रुख साफ नहीं करता, हाईकोर्ट भी सुनवाई नहीं करेगा।
सुप्रीम कोर्ट निरस्त कर चुका ट्रान्सफर एप्लीकेशन
मध्य प्रदेश सरकार ने भी ओबीसी आरक्षण पर ट्रांसफर याचिकाएं दायर की थी, सुप्रीम कोर्ट ने जिसे निरस्त कर हाईकोर्ट में लंबित मामलों की जल्द सुनवाई के निर्देश दिए थे।
जबलपुर हाईकोर्ट ने इसलिए रोकी सुनवाई
ओबीसी आरक्षण विवाद के जल्द समाधान के लिए अगस्त-2023 में लगातार पांच दिन डे-टू-डे सुनवाई चली थी। इसमें मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिकाएं दायर की हैं। जिसके बाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए मामले की सुनवाई रोक दी थी कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में लगे ट्रांसफर पिटीशन पर निराकरण नहीं हो जाता, तब तक सुनवाई नहीं होगी।
MP की सरकारी भर्ती में 13% नियुक्तियां होल्ड
मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत OBC आरक्षण में से 13% आरक्षण कानूनी विवाद के चलते होल्ड है। इसे लेकर प्रदेश के सभी 54 विभागों में पिछले पांच साल हुई भर्तियों के 13 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियां भी होल्ड की गई हैं। जिसे लेकर हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य अधर लटका हुआ है।
क्या है ओबीसी आरक्षण विवाद
मध्य प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में 60 से ज्यादा याचिका लंबित हैं। कुछ याचिका आरक्षण के पक्ष में तो कुछ खिलाफ हैं। आरक्षण विरोधी याचिका में कहा गया कि ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने से आरक्षण से 50 प्रतिशत अधिक हो जाएगा। जो संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है।