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MP Nursing College Scam: मध्य प्रदेश में नर्सिंग घोटाले के बाद हालात बिगड़ गए हैं। सवा लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स 4 साल से परीक्षा के इंतजार में हैं। तो वहीं नए एडमिशन न मिलने से भी हर जिले में हजारों छात्र परेशान हैं। 

MP Nursing College Scam: सतना की पूनम बीएससी नर्सिंग कर मेडिकल फील्ड में करियर बनाना चाहती है। पूनम ने जिले के सभी नर्सिंग कॉलेज में संपर्क किया, लेकिन दाखिला नहीं मिला। कहीं मान्यता तो कहीं सीट फुल बताकर कॉलेजों ने उसे लौटा दिया। एडमिशन के लिए दर-दर भटक रही पूनम ने पैरा मेडिकल कोर्स करना चाहा, लेकिन यहां भी उसे निराशा हाथ लगी। कॉलेजों ने एडमिशन देने से साफ इनकार कर दिया। नर्सिंग घोटाले के बाद सामने आई इस समस्या से अकेली पूनम नहीं, बल्कि प्रदेश के लाखों छात्र जूझ रहे हैं। हरिभूमि ने अलग-अलग जिलों के नर्सिंग कॉलेजों की पड़ताल की तो छात्रों का दर्द सामने आया। पढ़िए मेडिकल स्टूडेंट्स के दर्द की दास्तां...।

3 साल से परीक्षा का इंतजार 
छतरपुर की अंकिता बेहद सामान्य परिवार से हैं। पिता किसानी करते हैं। 3 साल पहले उन्होंने भोपाल के निजी कॉलेज में बीएससी नर्सिंग में एडमिशन लिया, लेकिन एक्जाम नहीं हुए। पहले तो परिवार वालों को दिलाशा दिलाती रहीं, लेकिन फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद उनकी उम्मीदें टूट गईं। वह न खुद को समझा पा रही हैं और न परिजनों को जवाब दे पा रही हैं। अंकिता अब चाहती हैं कि किसी तरह एक्जाम हो जाए तो मेहनत बेकार न जाए। 

घर लौटने का दबाव बना रहे परिजन 
डिंडौरी की सविता ने जबलपुर के निजी नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन 3 साल से परीक्षा नहीं हुई। वह बेहद तनाव में हैं। परिजन भी परेशान हैं। वह पढ़ाई छोड़कर घर लौटने का दबाव बना रहे हैं, लेकिन सविता कहती हैं घर लौटते ही यह लोग मेरी शादी करवा देंगे। जिसके बाद आगे की पढ़ाई असंभव हो जाएगी। 

एग्जाम होने तक एडमिशन बंद हैं
नीमच के जितेंद्र बीएससी नर्सिंग करना चाहते हैं, लेकिन एडमिशन नहीं मिला। कॉलेज प्रबंधन की ओर से कहा गया कि जब तक पुराने छात्रों के एग्जाम नहीं हो जाते, नए एडमिशन बंद हैं। जितेंद्र डीएमएलटी (पैरामेडिकल कोर्स) में एडमिशन के लिए संपर्क किया, लेकिन वहां भी बताया गया कि 2020 के बाद अभी एग्जाम हुए हैं। आगे कब होंगे, कुछ स्पष्ट नहीं है।

जानें कैसे हुआ नर्सिंग घोटाला  

  • मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में फर्जी नर्सिंग कॉलेज खोल दिए गए हैं। जहां न प्रशिक्षित स्टाफ है और न जरूरी संसाधन। कुछ कॉलेज तो महज दो कमरों में संचालित मिले। सीबीआई ने 300 से ज्यादा नर्सिंग कॉलेजों की जांच की, जिसमें 169 कॉलेज ही पात्र मिले। 73 में खामियां और 66 नर्सिंग कॉलेज अयोग्य मिले। 
  • डेढ़ सौ से ज्यादा अपात्र कॉलेजों में से राज्य सरकार ने 19 की मान्यता रद्द की है। आरोप है कि जांच कमेटी में शामिल अफसरों ने कॉलेज संचालकों से रुपए लेकर मान्यता बहाली के लिए फर्जी सत्यापन रिपोर्ट भेज दी है। 
  • मध्य प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेज घोटाले पर उच्च स्तरीय जांच जारी है। शासन स्तर से कुछ कार्रवाइयां भी की गई हैं, लेकिन नर्सिंग और मेडिकल कोर्स से जुड़े छात्रों की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं। वह परीक्षा और एडमिशन के लिए तो परेशान हैं ही। करियर और भविष्य को लेकर भी काफी चिंतित हैं।

मंत्री विश्वास सारंग के खिलाफ FIR की मांग 
नर्सिंग कॉलेज घोटाले में कांग्रेस सड़क से सदन तक मुखर है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उनके खिलाफ FIR दर्ज कराने की मांग की है। बताया कि सीबीआई जांच में अयोग्य मिले ज्यादातर नर्सिंग कॉलेज विश्वास सारंग के मंत्री रहते खुले हैं। कॉलेजों को मान्यता देने वाली काउंसिल में भी सारंग ने चहेते अफसरों को पदस्थ कराया था। कांग्रेस ने इससे जुड़े कुछ दस्तावेज भी पुलिस को सौंपे हैं। 

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