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राजधानी स्थित एनआईटीटीटीआर में शनिवार को साइंस सोसाइटी एंड कल्चर: अ होलिस्टिक एप्रोच फॉर विकसित भारत विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ।

भोपाल (संजीव सक्सेना)। राजधानी स्थित एनआईटीटीटीआर में शनिवार को साइंस सोसाइटी एंड कल्चर: अ होलिस्टिक एप्रोच फॉर विकसित भारत विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ। इसमें मुख्य वक्ता डॉ. रंजना अग्रवाल, निदेशक सीएसआईआर-निस्पर थी। डॉ. रंजना अग्रवाल ने कहा कि अनादि काल से भारत में विज्ञान की परंपरा विद्यमान रही है। 

खुदाई से मिले साक्ष्य
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से मिले साक्ष्य इस बात का प्रमाण हैं कि उन लोगों में विज्ञान की समझ थी। प्राचीन काल में भारत में विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में महर्षि सुश्रुत के द्वारा खोजी गई शल्य चिकित्सा है, दुनिया आज उन्हें फादर ऑफ  सर्जरी मानती है। नागार्जुन ने रसायन विज्ञान को जन्म दिया। मनुष्य और विज्ञान का विकास एक साथ होता है। 

विज्ञान समाज एवं संस्कृति का हिस्सा
विकसित भारत की कल्पना के लिए विज्ञान, समाज और संस्कृति के प्रति समग्र दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण है। विज्ञान हमारे समाज एवं संस्कृति का हिस्सा है। मनुष्य ने विज्ञान के माध्यम से कठिन से कठिन कार्य को सरल बना लिया है। आज देश की तरक्की के पैमाने का निर्धारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर निर्भर करता है। जो देश विज्ञान के क्षेत्र में जितना उन्नति करेगा उसकी अर्थव्यवस्था उतनी ही मजबूत होगी। 

विज्ञान के बिना समाज या राष्ट्र की कल्पना असंभव 
विज्ञान को पृथक कर किसी समाज या राष्ट्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कार्यक्रम के अंत में निटर निदेशक प्रोफेसर सीसी त्रिपाठी ने डॉ. रंजना अग्रवाल के महतवपूर्ण विषय पर विशेष व्याख्यान देने के लिए उनका धन्यवाद दिया। उक्त व्याख्यान में प्रो. दिनेश अग्रवाल, कुलपति गुरुग्राम विवि, गुरुग्राम एवं डॉ एसएस पांडा, पूर्व निदेशक निटर चेन्नई के साथ ही संस्थान के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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