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सैलानियों के लिए खुशखबरी है। अब MP के टाइगर रिजर्वों में लोग बाघ की निगरानी करने वाले हाथी पर बैठकर जंगल की सैर कर पाएंगे। हाथी पर्यटकों जंगल के उन दुर्गम वन क्षेत्रों में घुमाएंगे, जहां जिप्सियां नहीं जा पाती। साथ ही MP में हाथियों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

भोपाल। मध्यप्रदेश घूमने आने वाले सैलानियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। MP के टाइगर रिजर्वों में अब लोग हाथी पर बैठकर जंगल की सैर कर पाएंगे। बाघों की निगरानी करने वाले हाथी पर्यटकों को पीठ पर बैठाकर जंगल घुमाएंगे। इनकी सवारी कर पर्यटक जंगल के उन दुर्गम वन क्षेत्रों तक पहुंच सकेंगे, जहां जिप्सियां नहीं जा पाती हैं। अभी टाइगर रिजर्वों में केवल जिप्सियों से ही पर्यटकों को भ्रमण कराया जाता है। प्रदेश में पर्यटकों को सहूलियत देने वाला यह निर्णय सोमवार को हुई राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में लिया गया।

जल्दी ही वन विभाग काम शुरू करेगा 
बता दें कि बैठक में हाथियों की संख्या को बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया। इसके लिए कर्नाटक समेत दूसरे राज्यों से हाथियों को लाने की पहल राज्य सरकार करेगी। हालांकि पर्यटकों को हाथियों पर बैठकर बाघ भ्रमण वाले क्षेत्रों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। बोर्ड की पहली बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, वन मंत्री नागर सिंह चौहान समेत आमंत्रित सदस्य व वन विभाग के अधिकारी मौजूद थे, जिन प्रस्तावों पर सहमति बनी है, उन पर जल्दी ही वन विभाग काम शुरू करेगा। 

वन्यप्राणी रेस्क्यू स्क्वॉयड बनाया जाएगा 
मध्यप्रदेश में वन्यप्राणियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसका नतीजा यह है कि वन्यप्राणी वन क्षेत्रों से निकलकर आबादी तक पहुंच रहे हैं। कई बार खेतों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कई दफा तो आम लोग भी हाथियों की चपेट में आ जाते हैं और जनहानि होती है। हाल ही में शहडोल और अनूपपुर में हाथियों व बाघों के दखल से लोगों को नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसी स्थितियों को देखते हुए बोर्ड ने प्रत्येक जिलों में वन्यप्राणी रेस्क्यू स्क्वॉयड बनाने का निर्णय लिया है। अभी टाइगर रिजर्व वाले जिलों में ही यह स्क्वॉयड काम कर रहे हैं।

सर्प दंश से होने वाली मौत को रोकने होंगे काम
प्रत्येक जिलों में सांपों के काटने से मौत का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। इसे देखते हुए प्रत्येक जिले में तहसील, ब्लॉक व जिला स्तर पर सर्प दंश की घटनाओं को रोकने के लिए सांप पकड़ने वाले विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे। सरकार इन्हें प्रशिक्षण दिलाएगी। साथ ही इनके नाम व मोबाइल नंबर शहर से लेकर पंचायतों तक में उपलब्ध कराए जाएंगे। अभी नगरीय निकायों द्वारा भोपाल, इंदौर, जबलपुर व ग्वालियर जैसे मुख्य शहरों में ही विशेष तैयार करते हैं।

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