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मध्यप्रदेश में बनी 'लापता लेडीज' फिल्म ऑस्कर 2025 के लिए नॉमिनेटेड की गई है। फिल्म में काम कर चुके भोपाल के कलाकारों से हरिभूमि ने खास बातचीत की।

भोपाल (आशीष नामदेव): मध्य प्रदेश में बनी लापता लेडीज फिल्म ऑस्कर 2025 के लिए नॉमिनेट हुई है। इस फिल्म की शूटिंग सीहोर, नर्मदापुरम और भोपाल सहित मध्य प्रदेश के अन्य शहरों में हुई है। भोपाल में रहने वाले कई कलाकारों ने इस फिल्म में काम किया है, जिसमें विवेक सवारीकर मृदुल और अमन श्रीवास्तव ने काम किया है। 

मप्र के पर्यटन, संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंन्द्र सिंह लोधी ने एक्स अकाउंट से खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में वह सब कुछ जो फिल्म निर्माण के लिए आवश्यक है। मध्यप्रदेश में शूट की गई फिल्म "लापता लेडीज 2024" को 97वें ऑस्कर अवॉर्ड 2025 की फॉरेन फिल्म कैटेगरी में भारत की ओर से ऑफिशियली चुना गया है।

Lapata Ladies StarCast
 लापता लेडीज में काम कर चुके विवेक और अमन श्रीवास्तव

मध्यप्रदेश फिल्म पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही समृद्ध और उपयुक्त राज्य है। मध्य प्रदेश में वह सब कुछ है, जो फिल्म निर्माण के लिए आवश्यक है। हम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में शूटिंग के लिए फिल्म निर्माताओं को सिंगल विंडो अनुमति देते हैं। पर्यटन विभाग की ओर से फिल्म पॉलिसी के अंतर्गत फिल्मों पर सब्सिडी देने का भी कार्य हम कर रहे हैं। मैं फिल्म लापता लेडीज की टीम को हृदय से बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। यहां की प्राचीन विरासत, ऐतिहासिक धरोहर, प्राकृतिक सुंदरता और अनुकूल वातावरण फिल्म निर्माताओं के लिए श्रेष्ठ है। 

भारत की जड़ों से जोड़ती है फिल्म की कहानी
एक्टर विवेक सावरीकर मृदुल ने कहा कि यह फिल्म ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट होने पर मुझे बहुत खुशी है। यह फिल्म इसलिए नॉमिनेट हुई क्योंकि इसकी कहानी भारत की जड़ों से जोड़ते है। इस तरह की कहानी आज भारतीय संस्कृति को दिखाती है, किस तरह महिला आज भी घुंघट में रहती है। महिलाओं को आगे लाने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए इस तरह की फिल्में ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट भी होना चाहिए और इन्हें अवॉर्ड भी मिलना चाहिए।

Lapata Ladies StarCast
लापता लेडीज की शूटिंग के दौरान

रील्स नहीं, लापता लेडीज देखना चाहिए
एक्टर अमन श्रीवास्तव ने कहा कि यह मेरी पहली फिल्म है। मैं 2017 से थिएटर आर्टिस्ट हूं। यह बहुत खुशी के पल है मेरे लिए, क्योंकि इस फिल्म की कहानी काफी अलग देखने को मिली। मेरे सारे सीन इस फिल्म में 5 दिन में शूट किए गए हैं। नर्मदा नदी के पुल पर मैं स्कूटर चलाता हूं, जो विदाई का सीन होता है। आज के दौर में इस तरह की फिल्मों को दिखाना चाहिए, ताकि लोग रील्स की ओर न जाकर कहानियों को बारीकी से देखें। मैं पहले ही थिएटर आर्टिस्ट ही बनना चाहता था। मैंने कभी रील्स पर ध्यान नहीं दिया। यह कहानी लोगों के दिल तक पहुंचने वाली है।

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