MP News: मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा मातृ मृत्यु को न्यूनतम करने के लिए उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं की पहचान और प्रबंधन के लिए मिशन मोड पर काम किया जा रहा है। प्रत्येक गर्भवती महिला को उपचार देने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृत संकलित होकर कार्य कर रहा है। इसकी बानगी तब देखने को मिली जब एक हाई रिस्क गर्भवती महिला को तमाम प्रयासों और समझाइश के बाद उपचार हेतु अस्पताल लाया गया।
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ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराया गया
राजधानी भोपाल के कुम्हार मोहल्ला पंचशील निवासी पन्ना पत्नी राम सिंह (परिवर्तित नाम) गंभीर एनीमिक थी। प्रसवकाल के प्रारंभिक चरण में मात्र चार ग्राम हीमोग्लोबिन का होना मां और बच्चे के लिए खतरे की स्थिति थी, लेकिन परिजन अस्पताल में उपचार के लिए तैयार नहीं थे। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य विभाग द्वारा समझाइश देकर महिला को जयप्रकाश चिकित्सालय में भर्ती करवा कर ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाया गया है।
महिला डॉक्टर्स की नहीं मानी सलाह
बता दें कि बुधवार को काटजू अस्पताल में महिला को डॉक्टरों ने खून चढ़ाने की सलाह दी थी, किंतु परिजनों द्वारा झाड़ फूंक और अंधविश्वास के चक्कर में महिला को घर ले गए। अस्पताल प्रबंधन इसकी सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी को दी। महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए सीएमएचओ द्वारा तुरंत एक दल महिला के घर भेजा गया। परिजनों को महिला और बच्चे की जान के संभावित खतरों की जानकारी देकर जेपी अस्पताल लाया गया और तुरंत खून की व्यवस्था कर ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाया गया।
अंधविश्वासों के कारण भर्ती नहीं
सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि अहिला पिछले तीन महीनों से सुल्तानपुर में अपने ससुराल में रह रही थी। अगस्त में ये भोपाल अपने मायके आई। इस दौरान एएनएम एवं आशा कार्यकर्ता ने महिला की जांच की। महिला में खून की कमी को देखते हुए 9 एवं 8 तारीख को काटजू अस्पताल में आयोजित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान शिविर में सभी जांच की गई। परिजनों को खून की गंभीर कमी के बारे में बताकर इलाज के लिए समझाइश दी ठाई, लेकिन अंधविश्वासों के कारण परिजन इसके लिए तैयार नहीं हुए थे। महिला का ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाकर जेपी अस्पताल में उपचार दिया जा रहा है। साथ ही पूरे नी माह के दौरान महिला के नियमित फॉलोअप एवं उपचार की व्यवस्था की गई है।
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