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MP News : शिक्षा माफिया के खिलाफ जबलपुर में हुई कार्रवाई पूरे देश में चर्चा का विषय बनी, लेकिन शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों बचाने की कवायद जारी है। बीते 6 साल में यहां 200 करोड़ से अधिक राशि नियम विरुद्ध शुल्क बढ़ाकर अभिभावकों से वसूले गए हैं।

MP News : जबलपुर जिला प्रशासन की शिक्षा माफिया के खिलाफ हुई कार्यवाही पूरे देश में चर्चा में है। प्रशासन का कहना है कि बीते करीब 6 साल में 200 करोड़ से अधिक की नियम विरुध्द फीस वृध्दि और वसूली स्कूल संचालकों ने आमजन से की है। प्रशासनिक जांच में सामने आया है कि नियम विरुद्ध फीस वृद्धि के अलावा डेस, कापी, किताब आदि में भी करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया है।

व्यापक कार्यवाही में एक भी सरकारी अधिकारी और कर्मचारी आरोपी नहीं
इस मामले में 60 से अधिक गैर जमानती धाराओं में आरोपी हैं। जिसमें स्कूल के मालिक से लेकर स्कूल के नौकर तक, किताब कापी छापने से लेकर बेचने वाले तक सब आरोपी हैं। लेकिन सवाल सबसे बड़ा यह है इतनी बड़ी और व्यापक कार्यवाही में एक भी सरकारी अधिकारी और कर्मचारी को आरोपी नहीं बनाया गया।

जबकि सामान्य समझ रखने वाले शहरवासी भी समझ रहा है कि इतना बड़ा खेल बिना शिक्षा विभाग के अधिकारियों की शह और सहयोग के संभव ही नहीं है। जब स्कूल में नौकरी करने वाले प्रिंसिपल, जो मैनेजमेंट के कर्मचारी मात्र होते हैं, वो जेल में है। तब एक भी सरकारी अधिकारी कर्मचारी पर गाज नहीं गिरी है।

फीस वृध्दि पर सील लगाने वाले कैसे पाक साफ बने हुये हैं
यह बात अपने आप में प्रशासनिक कार्यवाही पर बड़ा सवालिया निशान है। एक वर्ग का यह भी कहना है कि प्रिंसिपल जो स्कूल मैनेजमेंट के नौकर मात्र होते हैं, फीस वृद्धि आदि फैसले में उनका प्रत्यक्ष किरदार नहीं होता, जब वो जेल में है। तब स्कूलों की फीस वृध्दि पर सील लगाने वाले अधिकारी, कर्मचारी कैसे पाक साफ बने हुये हैं।

अखिल भारतीय मजदूर अधिकार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरविन्द्र सिंह चड्ढा ने आरोप लगाया है कि इस पूरे खेल में जिला शिक्षा अधिकारी और उनके कार्यालय की भी भूमिका है जिसकी जांच होनी चाहिए। इस संबंध में मुख्यमंत्री, कलेक्टर और शिक्षा मंत्री के साथ- साथ मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग को ज्ञापन भेजा जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में गुरिंदर चड्डा के अलावा सेमसन विलियम, सुमन पटेल, साधना पटेल, रामजी यादव, सुरेश चौधरी आदि उपस्थित थे।

डीईओ आफिस शामिल !
आरोप लग रहे हैं कि किताब कापी में कमीशन खोरी रोकने की पूरी जवाबदारी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय (डीईओ) की थी। सैकड़ों शिकायत के बाद भी कॉपी किताब स्कूल बस्ते आदि में धड़ल्ले से कमीशन खोरी हुई और आम जनता को लूटा गया। इस दौरान जिला शिक्षा अधिकारी क्या कर रहे थे।

स्कूलों ने कितनी फीस बढ़ाई इसकी जानकारी स्कूलों को जिला शिक्षा विभाग को देना अनिवार्य है। ऑडिट रिपोर्ट में उल्लेख किया जाता है। जो जिला शिक्षा विभाग तक पहुंचती है। सब कुछ कई साल से नियम विरुद्ध हो रहा था। तब सवाल है कि, जिला शिक्षा अधिकारी की स्वीकृति और सहमति के बिना क्या इतने लम्बे समय यह भ्रष्टाचार संभव है। अगर संभव नहीं है तो फिर जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी कार्यवाही की जद में क्यों नहीं आए।

गिरफ्तारी की मांग
अखिल भारतीय मजदूर अधिकार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरविन्द्र सिंह चड्ढा संघ ने शनिवार को कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर फीस वृद्धि व बुक कमीशन घोटाले में जिला शिक्षा अधिकारी पर एफआईआर दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। संगठन के सेमसन विलियम ने कहा फीस वृद्धि से लेकर किताब कापी में कमीशन खोरी तक सबकी मानीटरिंग की जिम्मेदारी और उसे रोकने का अधिकार जिला शिक्षा अधिकार के पास है। लेकिन उन्होंने कभी एक्शन नहीं लिया। जिससे यह साफ है वो प्रत्यक्ष रूप से इसका हिस्सा हैं। इसलिये उन्हें जांच के दायरे में लाकर उन पर एफआईआर की जानी चाहिये।

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