भोपाल। मध्य प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। अभी तक 20 जिलों के 1 करोड़ 11 लाख लोगों की जांच का लक्ष्य था। अब 13 जिलों को और जोड़ दिया है। इस तरह डेढ़ करोड़ लोगों की जांच की जानी है। अभी तक 23 लाख लोगों की जांच हो चुकी है। 10 हजार 500 लोग प्रभावित मिले हैं। 52 हजार ऐसे लोग मिले हैं, जो प्रभावित तो नहीं हैं, लेकिन इनसे आने वाली संतानों को यह बीमारी हो सकती है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि इनसे पैदा होने वाली संतानों में यह बीमारी होगी।
अगले दो साल में लक्ष्य को पूरा करना है
जानकार के मुताबिक, सिकल सेल एनीमिया का ज्यादा असर आदिवासी बाहुल्य जिलों में देखा गया है, जिसे खत्म करने के लिए तीन वर्षीय कार्ययोजना बनाई है। एक साल से इस पर काम चल रहा है, आगे दो साल में इस लक्ष्य को पाना है। उसके बाद आगे की कार्ययोजना बनाई जाएगी।
बीमारी को पूरी तरह खत्म करने का कोशिश
डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी मरीज से उसकी अगली पीढ़ी में आनुवांशिक रूप से चली जाती है। यह बड़ी चिंता पैदा करने वाला है इसलिए इसके खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक सिकल सेल एनीमिया का इलाज खून की जांच करके किया जाता है।
16 राज्यों में एनीमिया की जांच और निदान के प्रयास जारी
मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, असम, उत्तर प्रदेश, केरल, बिहार और उत्तराखंड के जिलों में सिकल सेल एनीमिया की जांच और निदान के प्रयास जारी हैं।
2047 तक एनीमिया मुक्त करने का लक्ष्य
इस बीमारी से जनजातीय समुदाय के लोग ही प्रभावित होते हैं लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक, अब तक की 23 लाख लोगों की जांच में यह बीमारी अन्य समुदायों के लोगों में भी मिली है। खासकर ओबीसी वर्ग के लोग भी इससे पीड़ित हैं। ऐसे लोगों को निदान की सलाह दी जा रही है। उल्लेखनीय है कि सिकल सेल एनीमिया के खात्मे के लिए 2047 तक का लक्ष्य रखा है।