Teachers Day Special: मध्य प्रदेश में नरसिंहपुर जिले में सिंहपुर और बुरहानपुर जिले का बंभाड़ा दो ऐसे गांव हैं, जिन्हें आमतौर पर शिक्षकों का गांव कहते हैं। यहां के हर घर में एक शिक्षक मिल जाएगा। कुछ परिवार तो ऐसे हैं, जिनमें पीढ़ियों से अध्यापन का कार्य किया जा रहा है। वहीं कुछ परिवारों में अब भी 5 से 10 शिक्षक हैं।
गांव में शिक्षा के प्रति इतनी जागरूकता है कि इंटर और स्नातक के बाद युवा डीएड, बीएड करने लगते हैं। बंभाड़ा गांव में 2000 से ज्यादा युवा मिल जाएंगे, जो डीएड-बीएड करने के बाद शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे हैं। यहां के कुछ लोग विदेशों में शिक्षा की अलख जला रहे हैं।
शिक्षकों की प्रेरणादायक कहानियां
सिंहपुर गांव के शिक्षकों की कहानियां काफी प्रेरणादायक हैं। इनका समर्पण गांव को शिक्षा का केंद्र बना देता है। ग्रामीण चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियां भी इसी तरह शिक्षा के जरिए समाज को नई दिशा देते रहें। ग्रामीण मानते हैं कि शिक्षा ही वह ताकत है, जो समाज को आगे बढ़ने का मौका देती है।
सिंहपुर में 5500 आबादी और 500 शिक्षक
सिंहपुर गांव की आबादी 5500 के करीब है। इनमें से 400 से 500 शिक्षक भी हैं। राजेश शर्मा ने बताया कि उनके परिवार में 10 शिक्षक हैं। राजेश ने कहा, यह सब माता-पिता से मिले संस्कारों के जरिए संभव हुआ है। आगामी पीढ़ी को भी शिक्षा का महत्व समझना होगा।
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बंभाड़ा गांव में 300 से ज्यादा शिक्षक
बुरहानपुर जिले के बंभाड़ा गांव की भी कुछ ऐसी ही कहानी है। करीब 8 हजार की आबादी वाले इस गांव में 300 से ज्यादा शिक्षक हैं। इनमें 117 टीचर सरकारी स्कूलों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। शेष शिक्षक निजी संस्थानों में कार्यरत हैं। गांव वालों में शिक्षा के प्रति इस कदर जागरूकता और जुनून है कि गांव के 2000 से बीएड और डीएड किया हुआ है।
दुबई में शिक्षा की अलख जगा रहे प्रमोद महाजन
बंभाड़ा गांव के प्रमोद महाजन तो सात समंदर पार दुबई में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। वह दुबई की बड़ी स्कूल में प्राचार्य हैं। इनकी बहू, बेटे और बेटियां भी शिक्षक हैं। प्रमोद के पिता एलडी महाजन और मां द्रौपदी भी करीब 40 साल सरकारी शिक्षक रहे। वह 1964 में शिक्षक बने और 2004 में सेवानिवृत्त हुए। भाई सुदीप महाजन अमरावती के कालेज में प्राचार्य हैं।