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बीवेयर ऑफ डॉग्स नाटक के माध्यम से स्ट्रीट डॉग्स के प्रति फैलती नफरत को दूर करने का प्रयास किया गया। इस नाटक को प्रेमचंद्र ने लिखा था। पहली बार मंच पर दिखे 12 डॉग्स, कलाकारों ने डॉग्स के कॉस्टयूम और मास्क में बेहतरीन अभिनय किया।

भोपाल। सोमवार को शाम 5 बजे रंग श्री लिटिल बैले ट्रूप में रंग विदूषक की ओर से प्रेमचंद रचित नाटक ‘बीवेयर ऑफ डॉग्स’ का मंचन किया गया। करीब 50 मिनट की इस प्रस्तुति में संस्था के 12 कलाकारों ने डॉग्स की कॉस्ट्यूम और मास्क पहनकर बेहतरीन अभिनय किया। नाटक को डिजाइन व निर्देशित कन्हैयालाल कैथवास ने किया। नाटक के माध्यम से स्ट्रीट डॉग्स के प्रति फैलती नफरत को दूर करने का प्रयास किया गया। 

साहस और कर्तव्य निष्ठा की मिसाल कल्लू
प्रेमचंद द्वारा लिखित इस कहानी का मुख्य पात्र एक कुत्ता है, जिसका नाम कल्लू है। जन्म से लेकर पंडित जी के घर जाने और अपने साहसी कारनामों के कारण कल्लू जल्द ही सबका चहेता बन जाता है। कई बार कल्लू को पंडित जी के घर दुख भरे दिन भी देखने पड़ते हैं। परंतु साहस और कर्तव्य निष्ठा के कारण वह वहीं टिका रहता है और उसकी यह ईमानदारी उसे पंडित जी के घर से अंग्रेज अधिकारी के घर तक पहुंचा देती है। वहां कल्लू को सुख सुविधा संपन्नता हासिल होती है। आखिरकार उसे पंडित जी के घर की रुखी सूखी रोटी की याद आती है। जिससे वो सारे ऐशो आराम छोड़कर वापिस पंडित जी के घर चले जाता है। इस कहानी के माध्यम से प्रेमचंद ने साहस और रोमांच के सभी आयामों को छूने का प्रयास किया है। कलाकारों ने इन आयामों को अपने अभिनय से दर्शकों को रुबरु कराने का प्रयास भी किया है।

चेहरे पर कुत्ते का मास्क और दुम हिलाते हुए राहगीरों के पीछे-पीछे जाना, उनसे कुछ मांगने की चाह तो वहीं किसी के दुत्कारने पर मायूस होकर एक कोने में बैठ जाना.... जी हां स्ट्रीट डॉग्स के रूप में कलाकारों का ऐसा अभिनय शायद पहली बार देखने को मिला। इस नाटक की सभी ने जमकर तारीफ की । मंचन समाप्त होने के बाद तालियों की गड़गडाहट से हॉल गुंज उठा। 

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