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Success Story: मध्य प्रदेश के सागर जिले की सोफिया सिद्दीकी ने यूपीएससी की परीक्षा में 758 रैंक हासिल की है। सोफिया के माता-पिता की इच्छा थी की बेटी सिविल सर्विसेज में जाए। हालांकि, अब उनके माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं।

Success Story: यूपीएससी परीक्षा 2023 में मध्य प्रदेश के सागर की बेटी सोफिया सिद्दीकी ने छठे प्रयास में 758वी रैंक हासिल की है। उन्होंने बार-बार असफल होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और आखिर तक संघर्ष किया और सफल होकर ही दम लिया। सोफिया के माता-पिता की इच्छा थी कि उनकी बेटी सिविल सर्विसेज में जाए। हालांकि, अब उनके माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं। 

इंजीनियरिंग करते हुए मां को खोया, प्रीलिम्स से पहले पिता नहीं रहे
'हरिभूमि' से बातचीत में उन्होंने बताया कि साल 2015 में मैंने अपनी मां को खो दिया। उस वर्ष मैं बीई (सीएस) सेकंड ईयर में थी और उस वक्त ऐसा लगा कि मानो मेरा सब कुछ छिन गया, जीवन में कुछ भी नहीं बचा लेकिन फिर भी मेरे पिता ने मुझे सपोर्ट किया, पढ़ने के लिए मोटिवेट किया और मैंने अपना बीई कंप्लीट किया और 2018 से मैंने यूपीएससी प्रिपरेशन शुरु की। लेकिन, मुझे क्या पता था कि मेरे और भी इम्तेहान हैं। 2021 में अचानक हार्ट अटैक आने से मेरे पिता भी चल बसे और 15 दिन बाद ही मेरा यूपीएससी प्रीलिम्स एग्जाम था। एक मेंटल ट्रॉमा से मैं उसे वक्त गुजरी। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं क्या न करूं?

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एक साल दिल्ली में रहे कर पढ़ाई की 
उन्होंने आगे बताया कि  मेरे पिता रिटायर्ड प्रिंसिपल थे और भूगोल के लेक्चरर थे, इस वजह से हम सभी भाई बहनों का पढ़ाई में काफी इंटरेस्ट रहा। उनके जाने के बाद पढ़ाई के लिए मैं एक साल के लिए दिल्ली गई और वहां मैंने अपनी सिविल सर्विस की पढ़ाई की।

2021 में सिर्फ 2 नंबरों से प्रिलिन्स रह गया
2021 का यूपीएससी प्रिलिम्स मेरे मेंटल ट्रामा की वजह से नहीं निकला, मात्र दो नंबर से में रह गई और वास्तविकता तो यह थी कि अपने माता पिता को यूं अचानक खो देने के बाद मुझमें वो ताकत नहीं रही थी कि मैं इंडिया के टॉप मोस्ट एग्जाम को कैक कर पाऊं। लेकिन उस वक्त मेरे बड़े भाई बहनों ने मुझे सपोर्ट किया और आगे पढ़ने के लिए मोटिवेट किया, उन चारों ने मुझे समझाया कि अम्मी-अब्बू का ख्वाब था कि तुम एक अधिकारी बनो और उस ख्वाब को तुम्हें अब जरूर पूरा करना है, वह जहां भी होंगे, तुम्हें हमेशा दुआएं दे रहे होंगे।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
इसके बाद उन्होंने घर से सेल्फ नोट और सेल्फ स्टडी से तैयारी करते हुए लगातार पांच बार प्रयास किया और हर बार एक-दो नंबर की कमी रह जाती थी। छठी बार में उन्होंने उस कमी को पूरा किया, प्रीलिम्स क्लियर हुआ। सबसे बड़ी बात उन्होंने पहली बार में मेंस और इंटरव्यू पास कर लिया। यूपीएससी के लिए इतने संघर्ष के बाद मिली सफलता के बाद उन्होंने कहा कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को कभी भी एक, दो, तीन, चार एग्जाम के बाद उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। आपके पास जब तक मौके है, तब तक प्रयास करते रहें, सफलता जरूर मिलेगी।

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