आशीष नामदेव, भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में लोक गायन पर केंद्रित गतिविधि "लोककंठ" का रविवार को आयोजन किया गया। जिसमें बघेली, मालवी, बुंदेली एवं निमाड़ी लोक गीतों और भजनों की प्रस्तुति दी गई।
इस समारोह में कल्याणी मिश्रा, रीवा द्वारा टिप्पा - ऊंची मिढ़लिया बर्रे दियना, भगत - सात बहानियां है देवी शारदा... बिरहा - मईहर में देवी शारदा विराजे... राखी बांके, भोपाल द्वारा गणपति भजन- पाइली सभा म पधारो... गरबा - को गरबो घूमतो रमतो... गीत की प्रस्तुति दी गई।
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भजन प्रस्तुति दी गई
इसके अलावा ऋषि विश्वकर्मा, सागर द्वारा देवी गीत आ गई आ गई रे... वीरा ओयी वन रे... देवी भगत (स्वांग) एवं स्वाति उखले, चित्रांशी उखले, उज्जैन द्वारा मालवी लोक गीत थारी पूजा में आस तो लगाई मारी माय... पावगाड़ वाली महाकाली जगदम्बा... भजनों की प्रस्तुति दी गई।
काफी संख्या लोगों ने किया आनंद
वहीं कविता शर्मा, छतरपुर द्वारा बुंदेली लोक गीत मोरी मईया विराजो मोरे कंठ पर... एवं कलाकार विकास शुक्ला, हरदा द्वारा निमाड़ी लोक गीत माई थारा आंगरिया में मोर... गीतों एवं भजनों की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का काफी संख्या में लोगों ने आनंद लिया।