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Bhopal: विद्या विजय एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा जीपी बिड़ला संग्रहालय में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ।

आशीष नामदेव, भोपाल। विद्या विजय एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा जीपी बिड़ला संग्रहालय में दो दिवसीय ‘बुद्धिज्म इन इंडिया’ के अंतर्गत भारत में बौद्ध धर्म से सम्बद्ध कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदर्शनी, कार्यशालाओं एवं व्याख्यान कार्यक्रमों का शनिवार को शुभारंभ बरकतउल्ला विवि के कुलगुरु प्रो. एस के जैन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय पुरातत्व सर्वेक्ष, भारत सरकार डॉ. भुवन विक्रम ने की और विशिष्ट अतिथि डॉ. टी श्रीलक्ष्मी रही। 

इस कार्यक्रम में देश भर से पुरातत्वविद, शोधार्थी, कलामनीषी, बौद्ध धर्म के विद्वानों सहित लगभग 100 से अधिक लोगों ने सहभागिता की। साथ ही कार्यक्रम का शुभारंभ में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से देश पुरातात्विक स्थल सांची, नालंदा आदि विषयों पर आधारित विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। जिसमें करीब 45 छाया चित्रों के जरिए बौद्ध धर्म स्थलों के बारे में बताया गया है। जिसमें सबसे ज्यादा सांची के छाया चित्रों को देखा गया और नालंदा के छायाचित्र का जिक्र लोगों के लिए आकर्षण रहा। इस मौके पर विद्वानों ने पेपर प्रस्तुत किए।

GP Birla Museum Bhopal
 

विद्वानों कहा बौद्ध धर्म शांति का प्रतीक
मध्यप्रदेश में नवीन बौद्ध पर्यटन सर्किट की खोज एवं विस्तार की संभावनाएं विषय पर हुए विशेष व्याख्यान में विद्वानों ने कहा कि बौद्ध धर्म शांति का प्रतीक है, इसके जितने भी पर्यटन स्थल है वो बहुत अनोखे है हर पर्यटन स्थल पर कुछ अनोखा देखने को मिलता है। इसलिए बौद्ध धर्म सबसे अलग माना जाता है।

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1854 में इस तरह दिखता था सांची, ब्राह्मी स्क्रिप्ट में भी जाने सांची को
प्रदर्शनी में लगी छायाचित्रों में 1854 में किस तरह दिखता था सांची का नक्शा दिखाया गया है, साथ ही उसे ब्राह्मी स्क्रिप्ट में लिखा गया है, इसको छायाचित्र में अंग्रेजी भाषा में भी है जिसको हिन्दी में भी पढ़ा जा सकता है। साथ ही विदिशा का पुराना नाम भिलसा था। साथ ही स्तूप के स्थानों को भी नक्शे में दिखाया गया है।

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1883 ब्रिटिश लाइब्रेरी और आज के स्तूप का छायाचित्र
छायाचित्र में जो पुराने चित्र लगाए गए है उनको लाला दीनदायल द्वारा क्लिक किया गया था। वहीं पर्यटन स्थलों में आज और पहले की स्थिति का जिक्र है जो छायाचित्रों से साफ समझ आता है। जैसे ब्रिटिश लाइब्रेरी की 1883 सांची स्तूप की फोटो और आज के सांची स्तूप का छायाचित्र देखा जा सकता है।

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छायाचित्रों में बौद्ध के फूट प्रिंट को देखें
कई छायाचित्रों में बौद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों का जिक्र है, लेकिन यह छायाचित्र अपने आप में इसलिए अलग है, क्योंकि इसमें बौद्ध के फूट प्रिंट का छायाचित्र देखने को मिलता है। ऐसा फूट प्रिंट को देखने अपने आप में ही खास हो, है जिस का यह छायाचित्र ही खास है।

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