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Ujjain Kaal Bhairav ​​Mandir: उज्जैन के कालभैरव मंदिर का खास धार्मिक महत्व है। यहां गए बिना बाबा महाकाल की आराधना पूरी नहीं होती। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिहाज से सिंहस्थ से मंदिर का कायाकल्प किया जाना है।

Ujjain Kaal Bhairav ​​Mandir: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में सिंहस्थ-2028 की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। सिंहस्थ से पहले मंदिरों का कायाकल्प किया जाना है। शहर से 6 किमी दूर स्थित कालभैरव मंदिर में स्मार्ट सिटी मद से 50 करोड़ के विकास कार्य कराए जाने हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिहाज से यहां कई सुविधाएं डेवलप की जानी है।  

फूड प्लाजा, घाट रिनोवेशन व रूट डायवर्सन
कालभैरव मंदिर के काल भैरव मंदिर में दर्शन व्यवस्था बेहतर कर फूड प्लाजा बनाया जाएगा। साथ ही शिप्रा नदी पर बने घाट का रिनोवेशन कर मंदिर दर्शन के लिए रूट डायवर्सन किया जाएगा। मंदिर आने-जाने वाले श्रद्धालु और वाहन चालक अभी एक ही सड़क से होकर आजे-जाते हैं। जिसे मंदिर के पास से डायवर्ट कर बायपास से जोड़ा जाएगा। ताकि, आम वाहन चालक वहां से जा सकें। 

मंदिर के सामने डोम, होगी पार्किंग सुविधा 
मास्टर प्लान के तहत मंदिर के कायकल्प में करीब 50 करोड़ खर्च किए जाएंगे। यह सभी कार्य सिंहस्थ के पहले पूर्ण किए जाने हैं। स्मार्ट सिटी के अफसरों ने विकास कार्य का पूरा प्लान बना लिया है। इनमें वाहन पार्किंग, बैरिकेडिंग सहित अन्य व्यवस्थाएं की जाएंगी। ताकि, श्रद्धालु आसानी से दर्शन कर सकें। मंदिर के सामने दर्शनार्थियों के लिए डोम बनाया जा रहा है। पुलिया निर्माण भी होना है। 

कलेक्टर ने दिए यह निर्देश 
कालभैरव मंदिर में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने मंदिर का जायजा लिया। साथ ही प्रवेश, निर्गम मार्ग और वाहन पार्किंग की व्यवस्था देखी। कहा, प्रवेश मार्ग को समतल कर इसमें मैट बिछाई जाए। साथ ही वाटरप्रूफ टेंट लगाकर पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था की जाए। 

सेनापति के तौर पूजे जाते हैं बाबा कालभैरव 
मान्यता है कि बाबा काल भैरव के दर्शन मात्र से जीवन के सारे पाप मिट जाते हैं, लेकिन जो भक्त काल भैरव के दर्शन किए बिना महाकाल पूजा करते हैं, उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि काल भैरव उज्जैन के सेनापति के रूप में पूजे जाते हैं। महाकाल दर्शन के शहर कोतवाल यानी भगवान काल भैरव से आज्ञा लेकर जाना चाहिए। यह मान्यता है कि भक्त काल भैरव दर्शन से पूर्व महाकाल दर्शन अधूरा माना जाता है। भक्त काल भैरव को प्रसाद के तौर पर मदिरा अर्पित करते हैं। 

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