Gramin Bank Merger: क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के खाताधारकों के लिए बड़ा अपडेट है। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने मध्यप्रदेश सहित 12 राज्यों में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विलय की तैयारी कर ली है। 'एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक' की नीति के तहत चौथे चरण की तैयारी में ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी। इसमें मध्यप्रदेश के मध्यांचल ग्रामीण बैंक और मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक प्रभावित होंगे। इस प्रक्रिया में मध्यांचल ग्रामीण बैंक का विलय मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक में हो जाएगा।
मंत्रालय ने 20 नवंबर तक विचार मांगे विचार
बता दें कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के खर्च को सीमित करने, प्रौद्योगिकी के उपयोग को अनुकूलतम बनाने, पूंजी आधार और परिचालन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए चल रहे एकीकरण में तीन चरणों में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या 196 से घटाकर 43 की जा चुकी है। अब चौथे चरण में यह संख्या 28 रह जाएगी। वित्त मंत्रालय ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रायोजक बैंकों के चेयरमैन, एमडी और सीईओ को पत्र लिखकर इस संबंध में 20 नवंबर तक विचार भी मांगे हैं।
एमपी में ऐसी रहेगी व्यवस्था
मध्यप्रदेश में दो बैंक मध्यांचल ग्रामीण बैंक (प्रायोजक बैंक एसबीआई) और मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक (प्रायोजक बैंक बैंक ऑफ इंडिया) का एकीकरण होगा। विलय मध्यांचल ग्रामीण बैंक का होगा। प्रदेश में मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक संचालित होगा जिसका प्रायोजक बैंक ऑफ इंडिया होगा।
इन राज्यों के इतने बैंकों का होगा विलय
वित्त मंत्रालय एमपी सहित विभिन्न राज्यों के 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय करने जा रहा है। आंध्र प्रदेश के सबसे ज्यादा चार बैंकों का विलय होगा। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तीन-तीन बैंक। बिहार, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान और तेलंगाना में दो-दो बैंकों का विलय होगा।
1976 में हुई थी स्थापना
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) की स्थापना 1976 के तहत की गई थी। बैंकों को खोलने का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों, कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करना था। 2015 में अधिनियम में संशोधन किया गया। संशोधन के बाद बैंकों को केन्द्र, राज्य और प्रायोजक बैंकों के अलावा अन्य स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति दी गई। केंद्र की वर्तमान में आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है। 35 प्रतिशत और 15 प्रतिशत हिस्सेदारी क्रमशः संबंधित प्रायोजक बैंकों और राज्य सरकारों के पास है।