कपिल देव श्रीवास्तव, भोपाल। वन विहार नेशनल पार्क के बाघों व सिंह को 17 हजार रुपए में तीन माह तो दो लाख रुपये में एक साल तक गोद ले सकेंगे। इस साल छह लोगों ने वन्य प्राणी को गोद लिया है। इसमें बाघ को गोद लेने वालों की संख्या अधिक है। यह संख्या पिछले दो-तीन सालों की अपेक्षा में बढ़ी है। लेकिन 2009 में जब यह योजना शुरू की गई। तब से लगातार गोद लेने वालों की संख्या में कमी देखने को मिली है।
शुरुआती साल में करीब 18 लोगों ने वन्य प्राणी को गोद लिया था। पार्क प्रबंधन ने गोद लेने के लिए नए सिरे से शुल्क और प्रक्रिया तय की है। बाघों को एक साल तक गोद लेने का खर्च दो लाख रुपये तय किया है। इस तरह दूसरे वन्यप्राणियों के लिए भी खर्च तय किया गया है। गोद लेने के बदले दी गई राशि से संबंधित वन्यप्राणियों का संरक्षण और बेहतर खानपान की व्यवस्था की जाती है। वन्यप्राणी प्रेमी, सामाजिक कार्यकर्ता, सरकारी, गैर सकारी संस्थानों ने बाघ, तेंदुए, सिंह समेत दूसरे वन्यप्राणियों को गोद लिया है। इस योजना का मकसद वन्यप्राणियों के संरक्षण को बढ़ावा देना है।
बाघ व भालू गोद लेना पहली पंसद
इस साल छह वन्य प्राणी को गोद लिया है। इसमें दो भालू, दो बाघ, एक सिंह और एक तेंदुआ शामिल है। वहीं अभी तक सबसे ज्याद बाघ को 41 बार गोद लिया गया है, इसमें मादा और नर बाघ शामिल हैं। पांच बार गौरी और रिद्धी को एक वर्ष के लिए गोद लिया गया है। वहीं, पन्ना को छह बार गोद लिया गया है। इससे 12 लाख रुपये का प्राप्त हुए हैं।
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वन्य जीवों को गोद लेने की यह है प्रक्रिया
अगर कोई व्यक्ति या संस्था वन्य प्राणी को गोद लेना चाहते हैं, तो वन विहार प्रबंधन को लिखित आवेदन देना होगा। जिसमें कितने माह व साल के लिए जानवर गोद लेना है। यह उल्लेख कराना होता है। उसके हिसाब से जो राशि तय की गई है, उतने रुपए का चेक से प्रबंधन को देना होता है। फिलहाल वन विहार में बाघ, शेर, लोमड़ी, अजगर, पायथन सहित कुछ प्राणियों को कापोर्रेट कंपनियों ने गोद ले रखा है।
अधिकारियों ने बताया कि वन्य प्राणियों को गोद देने की योजना 2009 में शुरू की गई थी और अब तक 96 प्राणी गोद लिए जा चुके हैं। तो वहीं वन्य प्राणी को गोद लेने वालों को इनकम टैक्स की दान धारा 80 जी के तहत छूट मिलती है। किसी भी ट्रस्ट, चैरिटेबल संस्थान या स्वीकृत शिक्षा संस्थान को दिया गया दान टैक्स छूट के दायरे में आता है। यह छूट दान की गई रकम के 50 फीसदी या 100 फीसदी तक हो सकती है।
प्रजाति | वार्षिक राशि | अर्धवार्षिक राशि | त्रैमासिक राशि | मासिक राशि |
बाघ | 200000 | 100000 | 50000 | 17000 |
सिंह | 200000 | 100000 | 50000 | 17000 |
तेंदुआ | 100000 | 50000 | 25000 | 9000 |
भालू | 100000 | 50000 | 25000 | 9000 |
लकडबग्गा | 36000 | 19000 | 10000 | 4000 |
जैकाल | 30000 | 16000 | 9000 | 3500 |
मगर | 36000 | 19000 | 10000 | 4000 |
घडियाल | 50000 | 26000 | 14000 | 5000 |
अजगर | 8000 | 4500 | 2300 | 800 |
वर्ष | वन्य प्राणी को गोद लिया |
2009 | 18 |
2010 | 12 |
2011 | 5 |
2012 | 05 |
2013 | 7 |
2014 | 5 |
2015 | 3 |
2016 | 8 |
2017 | 6 |
2018 | 3 |
2019 | 2 |
2020 | 2 |
2021 | 5 |
2022 | 5 |
2023 | 3 |
2024 | 6 |
डिप्टी डायरेक्टर ने बताया
वन विहार के डिप्टी डायरेक्टर एसके सिन्हा ने बताया कि कोरोना काल में यह संख्या कम हो गई। लेकिन वन्य प्राणी को अधिक से अधिक गोद ले सकें। इसको लेकर लगातार जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके चलते पिछले दो-तीन साल में गोद लेने वाली की संख्या बढ़ी है।