भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में तीन दिवसीय रंग फुलवारी नाट्य समारोह आयोजित किया गया है। दूसरे दिन शहीद भवन में नाटक वीरांगना लक्ष्मी बाई का मंचन हुआ। नाटक का निर्देशन रविंद्र मोरे ने किया और प्रस्तुति यामिनी कल्चरल एवं वेलफेयर सोसायटी के कलाकारों ने दी। नाटक में महारानी लक्ष्मी बाई के बचपन से लेकर उनके विवाह, राजपाठ संभालने और वीरता के साथ अंग्रेजी सेना से संघर्ष की दास्तान को दिखाया गया।
रानी के बलिदान के दृश्य से हुआ प्रस्तुति का समापन
प्रस्तुति में बताया गया कि लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 19 नवम्बर 1828 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था। उनकी मां का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे।
बलिदान को याद किया गया
माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ स्वभाव की थीं। मां की मृत्यु होने के बाद घर में मनु की देखभाल के लिए कोई नहीं था, इसलिए पिता मनु को अपने साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले जाने लगे। जहां चंचल और सुंदर मनु को सब लोग उसे प्यार से "छबीली" कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्र की शिक्षा भी ली।उनका विवाह झांसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वे झांसी की रानी बनीं। अंत में अंग्रेज सेना से वीरता के साथ लक्ष्मीबाई के युद्ध और देश की खातिर बलिदान के दृश्य से प्रस्तुति का समापन हुआ