World Environment Day : 5 जून को वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण की बात की जाती है, जिसका एक प्रमुख कारण बढ़ती हुई ग्लोबल वार्मिंग भी हैं। पर्यावरण की अवहेलना के कारण ही तापमान में वृद्धि और मिट्टी कटाव जैसी अनेक समस्याओं का सामना हमें करना पड़ता है। आज लोग बढ़ते तापमान और गर्मी से परेशान हैं, ऐसे में अनेक समाज सेवी संगठन और व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण की मुहिम छेड़ते हैं।
पौधरोपण के रूप में पर्यावरण संरक्षित किया जा सकता है
इसी क्रम में पर्यावरण संरक्षण के लिए सीड बॉल को भी विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखा जाता है, जिसके जरिए जंगलों और खाली स्थानों पर सीड बॉल्स फेंककर पौधरोपण के रूप में पर्यावरण संरक्षित किया जा सकता है। विश्व पर्यावरण दिवस की थीम 'हमारी भूमि' है। इस थीम पर हरिभूमि ने राजधानी के कुछ ऐसे ही पर्यावरण प्रेमी संस्थाओं और व्यक्तियों से बातचीत की और जाना कि वो किस प्रकार से पर्यावरण संरक्षण की प्रतीक 'हमारी भूमि' को सुरक्षित रख रहे हैं।
प्लास्टिक री-साइकिलिंग के लिए कई मशीनें हैं
प्लास्टिक री-साइकिलिंग के लिए मौजूद हैं कई मशीनें, जरूरत है उनका उपयोग करने की वन विहार के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सुदेश वाघमारे ने बताया कि आज प्लास्टिक को दोबारा री-साइकिल कर उसका उपयोग किया जा सकता है। इसके कारण भूमि संरक्षण होगा। प्लास्टिक री-साइकिलिंग के लिए कई मशीनें हैं। हमें कोशिश करना चाहिए कि ऐसे प्लास्टिक का उपयोग करें, जिससे मशीन के जरिए उसको दोबारा उपयोग में लिया जा सके क्योंकि प्लास्टिक खत्म नहीं हो सकता है। उसके री-साइकिल करने के रास्ते ढूंढने की जरूरत है। लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग व करने की सलाह देने की जरूरत है। विज्ञान में प्लास्टिक का काफी अच्छा उपयोग किया जा सकता है।
लोगों में प्लास्टिक यूज के प्रति अवेयरनेस की कमी है
प्लास्टिक बनाने वालों पर रोक लगाने की जरूरत लोगों में भी प्लास्टिक यूज के प्रति अवेयरनेस हो पर्यावरणविद सुभाष पांडे ने कहा कि लोगों में प्लास्टिक यूज के प्रति अवेयरनेस की कमी है। इसी कारण आज कई लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब ही नहीं पता। सिंगल यूज शब्द का मतलब ही है कि दोबारा प्रयोग में व आना। इसके लिए दुकानदारों के साथ लोगों को जागरूक करने के जरूरत है। जब इसके निर्माण पर रोक लगाई जाएगी, तभी इसको बंद किया जा सकता है।
इसमें बोतल, चाय के कप समेत सभी प्रकार की पॉलिथीन शामिल है। साथ ही पॉलिथीन निर्माता कंपनियों पर भी रोक लगाना जरूरी है। प्लास्टिक के लिए खाद्य तोड या बीपीए-मुक्त जैसे लेबल देखकर ही प्लास्टिक का प्रयोग करें।