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भोपाल। भागदौड़ भरी जिंदगी, बिगड़ती लाइफ स्टाइल, डिप्रेशन और बदलते हुए क्लाइमेंट का असर लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। जिसकी देखरेख करना अति आवश्यक है। 

(सचिन सिंह बैस) भोपाल। भागदौड़ भरी जिंदगी, बिगड़ती लाइफ स्टाइल, डिप्रेशन और बदलते हुए क्लाइमेंट का असर लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। जिसकी देखरेख करना अति आवश्यक है। आधुनिक युग में बढ़ती मशीनरी में निर्भरता मनुष्यों के लिए बीमारियों का एक कारण भी है। मूवमेंट फ्लेक्सिबिलिटी (लचीलापन) की कमी के कारण लोगों को कई प्रकार की शरीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आधुनिक युग के मनुष्यों के लिए फिजियोथैरेपी (भौतिक-चिकित्सा) किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है। यह कहना है एमपीटी (ऑर्थो) (भौतिक-चिकित्सक) डॉ सुनील पाण्डेय का। आठ सितंबर को मनाए जाने वाले वर्ल्ड फिजियोथैरेपी डे के अवसर पर हरिभूमि से चर्चा करते हुए डॉ सुनील पाण्डेय ने बताया कि सबसे पहले हड्डी और मांसपेशियों संबंधित समस्याओं के लिए फिजियोथैरेपिस्ट की सहाल लेना लाभदायक होगा। अनेकों प्रकार की बीमारियों में फिजियोथैरेपी इलाज़ का महत्वपूर्ण योगदान है। डॉ पाण्डेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को इस चिकित्सा को भी जरूरतमंद मरीजों तक सुगमता से पहुंचाने के लिए जल्द से जल्द स्वत्रंत फिजियोथेरेपिस्ट काउंसिल का गठन करना चाहिए।

दवाइयां तभी असर करेगी जब शरीर मूवमेंट हो
डॉ सुनील पाण्डेय ने बताया कि आधुनिक युग में आधुनिक मशीनों से लेकर आधुनिक तकनीक से इलाज हो रहा है। आपके शरीर पर दवाइयां भी तभी असर करेगी जब शरीर मूवमेंट होता है। भागदौड़ भरी जिंदगी में एक्सरसाइज को जीवन का एक हिस्सा बनाना अति आवश्यक है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों, प्री-प्रेगनेंसी लेकर पोस्ट-प्रेग्नेंसी तक फिजियोथैरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका है।

काउंसिल गठन के लिए सरकार से लगाई गुहार
मप्र की भाजपा सरकार से आग्रह है कि सभी मेडिकल कॉलेज में फिजियोथैरेपी पाठ्यक्रम सुनिश्चित कर फिजियोथैरेपी काउंसिल का गठन किया जाए। शासकीय मेडिकल कालेजों में फिजियोथैरेपी चिकित्सा पाठ्यक्रम प्रारंभ किया जाए। प्राथमिक और सामुदायिक  स्वास्थ्य केंद्र में फिजियोथैरेपी यूनिट स्थापित कर एक महिला व  एक पुरुष फिजियोथैरेपिष्ट की नियुक्ति की जाए।
डॉ सुनील पाण्डेय, एमपीटी (ऑर्थो) (भौतिक-चिकित्सक)

केस एक: मोबाइल के कारण हुई स्लीप डिस्क की समस्या
मोबाइल फोन का इस्तेमाल हद से ज्यादा करने के कारण 33 वर्षीय स्वाती को गर्दन दर्द से दर्द के साथ धीरे-धीरे स्लीप डिस्क की समस्या हो गई। उनके कंधे व कलाई तक दर्द बढ़ गया। एक्सपर्ट डॉक्टर ने फिजियोथैरेपी कराने की सलाह दी। फिजियोथैरेपिस्ट ने मोबाइल के इस्तेमाल कम करने के साथ-साथ इलाज़ किया और दो सप्ताह में युवती को आराम मिल गया।

लेज़र थैरेपी क्लास फोर 30 वाट एडवांस तकनीक से मिला आराम
मेडिकल कॉलेज की स्टूडेंट खुशी ने परीक्षा की तैयारियों में सेहत पर ज्यादा ध्यान नही दिया। ख़ुशी को थोड़ा-थोड़ा क़मर में दर्द के एक दिन अचानक क़मर में झटका लगा। स्थिति इतनी बिगड़ गई ख़ुशी को 10 क़दम भी चलना भी मुश्किल होने लगा। फिजियोथैरेपिस्ट की सलाह मानकर एडवांस लेज़र थैरेपी क्लास फोर 30 वाट के साथ-साथ अन्य फिजियोथैरेपी की मशीनों के साथ आवश्यक एक्सरसाइज करना आरंभ किया। जिससे आश्चर्यजनक आराम मिलना शुरू हुआ। 15 दिनों में 60 से 70 प्रतिशत आराम मिल गया।
 

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