Maratha Reservation Bill: महाराष्ट्र विधानसभा में 20 फरवरी को मराठाओं को 10 फीसदी आरक्षण देने का बिल पास हो गया। अब इसे विधान परिषद में पेश किया जाएगा। वहां से पास होने के बाद यह कानून बन जाएगा। कानून बनने के बाद मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा। राज्य में 52 फीसदी आरक्षण पहले से है। अब 10 फीसदी मराठा आरक्षण जुड़ने से आरक्षण की सीमा 62 फीसदी हो जाएगी।
फिलहाल, भविष्य में यह आरक्षण का मुद्दा अदालत में जा सकता है। 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण की लिमिट बढ़ने से कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2021 में मराठा समुदाय को अलग से आरक्षण देने के फैसले को रद्द कर दिया गया था।
मराठा आबादी 28%, कितने गरीब हैं?
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (SCMBC) की रिपोर्ट को देखें तो राज्य में मराठा आबादी 28% है। जिनमें से 21.22% गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। यह राज्य के औसत 17.4% से काफी अधिक है। रिपोर्ट में इसका भी जिक्र है कि राज्य में अब तक हुई किसान आत्महत्याओं में से 94% मराठा समुदाय से हैं। समुदाय के 84% लोग गैर-क्रीमी लेयर श्रेणी में आते हैं, जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपए से कम है।
154 सवालों के जरिए ढूंढा गया जवाब
रिपोर्ट में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक मापदंडों के आधार पर समुदाय का मूल्यांकन करते हुए आरक्षण को उपयुक्त माना है। पिछड़ेपन के मामले में 250 में से 170 अंक दिए गए हैं। 154 प्रश्नों को तीन उपश्रेणियों में विभाजित किया गया था, जिसमें सामाजिक पिछड़ेपन के लिए 110 अंक, शैक्षिक पिछड़ेपन के लिए 80 अंक और आर्थिक पिछड़ेपन के लिए 60 अंक थे।
समुदाय ने आर्थिक पिछड़ेपन पर 60 में से 50 अंक, शैक्षिक मापदंडों पर 80 में से 40 अंक और सामाजिक मापदंडों पर 110 में से 80 अंक हासिल किए। एससीएमबीसी ने 23 जनवरी से 2 फरवरी तक 1.58 लाख घरों का सर्वेक्षण किया।
राज्य के औसत गरीबी से भी नीचे मराठा
रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 18.09% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। इनमें मराठाओं की हिस्सेदारी 21.22% है, यह राज्य के औसत से अधिक है। रिपोर्ट में अशिक्षा और उच्च शिक्षा की कमी के कारण सम्मानजनक नौकरियों और रोजगार तक पहुंचने के समुदाय के संघर्ष को भी रेखांकित किया गया है।