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Maharashtra Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुंबई की वर्ली सीट से इस बार सियासी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। जानें कौन-कौन मैदान में।

Maharashtra Election:महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुंबई की वर्ली सीट से इस बार सियासी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। शिवसेना (Shiv Sena) के मजबूत गढ़ माने जाने वाले वर्ली में आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) का सामना शिंदे गुट के मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) से है। वर्ली की गगनचुंबी इमारतों और संकड़ी गलियों वाले चॉल के बीच बसी इस सीट पर हर वोट अहम है। ठाकरे गुट और शिंदे गुट दोनों ही इसे जीतकर अपनी सियासी ताकत का सबूत देना चाहते हैं। यह केवल चुनाव नहीं, बल्कि वर्ली की जनता का भरोसा जीतने की जंग है।

शिंदे गुट से देवड़ा की वापसी
मिलिंद देवड़ा का वर्ली सीट पर चुनाव लड़ना शिंदे गुट के लिए बड़ा दांव है। दक्षिण मुंबई क्षेत्र में उनका परिवार लंबे समय से राजनीतिक प्रभाव रखता है। देवड़ा का मानना है कि वर्ली की जनता उन्हें मौका देगी और वे इस सीट पर नया अध्याय लिखेंगे। शिंदे गुट (Shinde Sena) ने देवड़ा को मैदान में उतारकर यह साफ कर दिया है कि वे इस चुनाव में पूरी ताकत लगा रहे हैं। देवड़ा का अनुभव और स्थानीय पहचान उन्हें मजबूत प्रत्याशी बनाते हैं।

आदित्य ठाकरे बोले- जनता मेरे साथ
आदित्य ठाकरे भी पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनावी रण में हैं। उन्होंने एक भव्य रैली निकालकर यह जताया कि वर्ली की जनता उनके साथ है। आदित्य का कहना है कि जनता भाजपा और शिंदे गुट के खोखले वादों को भली-भांति समझ चुकी है। उन्होंने बीजेपी (BJP) पर तंज कसते हुए कहा कि लोगों को अब असली नेताओं की पहचान हो चुकी है। ठाकरे का दावा है कि उनका काम और जनता से जुड़ाव ही उन्हें इस चुनाव में जीत दिलाएगा।

राज ठाकरे का खेल बदलने का दावा
वर्ली चुनाव में एक तीसरी चुनौती भी इन दोनों नेताओ के सामने खड़ी नजर आ रही है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के संदीप देशपांडे इस बार मैदान में हैं, जो पिछले चुनाव में आदित्य ठाकरे का सम्मान करते हुए उम्मीदवार नहीं बने थे। लेकिन इस बार वह भी चुनावी मैदान मे ताल ठोंक रहे हैं। देशपांडे ने दावा किया है कि वर्ली में उनके पास समर्थकों की बड़ी संख्या है। ऐसे में इस बार संदप देशपांड ठाकरे और शिंदे दोनों गुटों के समीकरण बदल सकते हैं। उनकी मौजूदगी चुनाव को और रोमांचक बना रही है।

वर्ली में क्या होगा इस बार चुनावी मुद्दा
वर्ली का इलाका महज गगनचुंबी इमारतों का नहीं, बल्कि कई जर्जर चॉल्स और स्लम इलाकों का भी है। यहां के लोगों की पुनर्विकास और रोजगार जैसी समस्याएं अब चुनावी मुद्दा बन गई हैं। हालांकि कई विकास योजनाएं यहां शुरू की गई थीं, लेकिन उनकी प्रगति धीमी रही है। दोनों प्रमुख प्रत्याशी वर्ली में विकास की स्थिति सुधारने का वादा कर रहे हैं, जो जनता को अपनी ओर खींच सकता है। यह चुनाव केवल सियासी शक्ति का नहीं, बल्कि जमीन (ground) के मुद्दों का भी है।

तीन पार्टियों की प्रतिष्ठा लगी है दांव पर
महाराष्ट्र चुनाव 20 नवंबर को होने वाला है, जिसमें वर्ली सीट पर भी वोटिंग होगी। यह चुनाव केवल सीट की जंग नहीं, बल्कि शिवसेना (Shiv Sena) और शिंदे गुट के बीच की प्रतिष्ठा का सवाल भी है। जनता किसे चुनेगी, इसका इंतजार सबको रहेगा। चुनाव परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। तब यह तय होगा कि वर्ली की जनता किस पर विश्वास करती है और कौन बनेगा वर्ली का नया नेता।

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