Maharashtra Assembly Verdict on Disqualification Petitions: महाराष्ट्र की सियासत के लिए आज बुधवार का दिन अहम रहा। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनकी शिवसेना गुट के 16 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। विधानसभा अध्यक्ष ने करीब 5.15 मिनट पर फैसला पढ़ना शुरू किया। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने इस दौरान कहा कि चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में शिंदे गुट ही असली शिवसेना है।
सुनील प्रभु को चीफ व्हीप मानने से इनकार
फैसला सुनाते हुए स्पीकर ने कहा कि शिवसेना के पास 55 विधायक थे। हालांकि, इनमें से 37 विधायकों ने शिंदे गुट का समर्थन किया। इसलिए शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। स्पीकर ने कहा कि शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट ने सुनील प्रभु को पार्टी का चीफ व्हीप बताया है। हालांकि, सुनील प्रभु को चीफ व्हीप बनाने से पहले ही शिवसेना से शिंदे गुट अलग हो चुका था। सुनील प्रभु को विधायक दल की बैठक बुलाने का कोई अधिकार नहीं था। इसके साथ ही स्पीकर ने चीफ व्हीप के तौर पर भरत गाेगावले की नियुक्ति को सही ठहराया।
उद्धव को नहीं था शिंदे को हटाने का अधिकार
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि शिवसेना के संविधान के मुताबिक सिर्फ पक्ष प्रमुख (पार्टी अध्यक्ष) की मर्जी से किसी विधायक को पार्टी से बाहर नहीं किया जा सकता। इस तरह के फैसले से पहले पार्टी की कार्यकारिणी समिति की बैठक बुलानी जरूरी है। हालांकि एकनाथ शिंदे को पार्टी से बर्खास्त करने का फैसला सिर्फ उद्धव ठाकरे ने लिया था। इस फैसले से पहले उद्धव ठाकरे ने कार्यकारिणी की बैठक नहीं बुलाई थी। ऐसे में शिंदे काे अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता।
शिवसेना की ओर से 2018 में सौंपा गया संविधान वैध नहीं
राहुल नार्वेकर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शिवसेना ने 2018 में जो पार्टी संविधान सौंपा वह संशोधित था। यह चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। ऐसे में इसे वैध नहीं माना जा सकता। यही वजह रही कि मैंने इसके आधार पर अयोग्य या योग्य ठहराने पर विचार नहीं किया। मैंने 1999 में शिवसेना की ओर से सौंपे गए पार्टी संविधान पर भरोसा किया और उसी के आधार पर फैसला किया।
दोनों गुट में विवाद से पहले का संविधान हुआ मान्य
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार शिंदे और उद्धव गुट दोनों ने पार्टी संविधान के अलग-अलग संस्करण पेश किए हैं। ऐसे में उसी पार्टी संविधान को माना गया जो दोनों गुट में विवाद सामने आने से पहले आपसी सहमति से चुनाव आयोग को सौंपा था। महाराष्ट्र विधान सचिवालय ने 7 जून 2023 को चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी थी और उनसे दोनों गुट द्वारा सहमति से सौंपे गए पार्टी संविधान की प्रति मांगी थी।
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद दस्तावेजों को बनाया आधार
राहुल नार्वेकर ने कहा कि मेरे सामने मौजूद सबूतों और रिकॉर्डों को देखते हुए, प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि साल 2013 के साथ-साथ साल 2018 में भी चुनाव नहीं हुआ था। हालांकि, मैं स्पीकर के रूप में 10वीं धारा के तहत मिले मुझे मिले अधिकार सीमित हैं। यह वेबसाइट पर उपलब्ध चुनाव आयोग के रिकॉर्ड से बढ़कर नहीं हो सकता। यही वजह है कि मैंने लीडरशिप के बारे में फैसला करते समय इस पहलू पर विचार नहीं किया है। इस प्रकार, उपरोक्त निष्कर्षों को देखते हुए, मुझे लगता है कि चुनाव आयोग की की वेबसाइट पर उपलब्ध 27 फरवरी 2018 का के पत्र के आधार पर ही फैसला लिया जाएगा कि कौन सा गुट शिवसेना के नेतृत्व करने का असली हकदार है।
उद्धव ने लगाया फिक्सिंग का आरोप
इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने फैसले में फिक्सिंग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि स्पीकर राहुल नार्वेकर आरोपियों से दो बार मिल चुके हैं। शुक्रवार यानी 12 जनवरी को महाराष्ट्र में रहेंगे। कुछ दिन बाद शिंदे दावोस जाएंगे। इसका मतलब है कि सरकार कायम रहेगी। आज का फैसला बस औपचारिकता है। विधायकों की अयोग्यता पर फैसला दिल्ली से हो चुका है।
उद्धव के बयान पर क्या बोले नार्वेकर
इस पर राहुल नार्वेकर ने जवाब दिया कि संजय राउत के बोलने का कोई अर्थ नहीं है। वे कल कहेंगे कि फैसला दिल्ली से नहीं, अमेरिका से आया है। वे सस्ती पब्लिसिटी के लिए बयानबाजी कर रहे हैं। आज का आदेश एक बेंचमार्क होगा और सभी को न्याय दिलाएगा। कानून और संविधान में जो प्रावधान हैं, उसे ध्यान में रखकर फैसला किया जाएगा।
#WATCH | Mumbai: On Maharashtra Vidhan Sabha speaker Rahul Narwekar giving verdict in Shiv Sena MLA disqualification case, Shiv Sena (UBT faction) leader Sanjay Raut says, "Match-fixing is going on in this case. The CM is gong to Davos. He will no longer remain in office if this… pic.twitter.com/uiqEFeif3q
— ANI (@ANI) January 10, 2024
एक दिन पहले शिंदे-फडणवीस और पवार
फैसले से एक दिन पहले मंगलवार देर रात मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके डिप्टी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार के बीच आवास, वर्षा बंगले पर मुलाकात हुई। बैठक में राज्य की नवनियुक्त डीजीपी रश्मी शुक्ला और मुंबई पुलिस कमिश्नर विवेक फणसलकर भी मौजूद थे। इसके अलावा 7 जनवरी को राहुल नार्वेकर और एकनाथ शिंदे की मुख्यमंत्री आवास पर मुलाकात हुई थी। इस बैठक पर भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने निशाना साधा।
शिंदे का दावा- हमारे पास बहुमत
विधायकों की अयोग्यता पर फैसले से पहले सीएम एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उनके पास बहुमत है। उन्होंने कहा, 'मैं शाम 4 बजे के बाद आधिकारिक बयान दूंगा। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि हमारे पास बहुमत है। बहुमत के आधार पर चुनाव आयोग ने हमें असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी है और धनुष-बाण चुनाव चिन्ह आवंटित किया है। हमें उम्मीद है कि स्पीकर हमें योग्यता के आधार पर पास करेंगे।'
#WATCH | Mumbai: On MLA disqualification verdict, Maharashtra CM Eknath Shinde says, "I will give an official statement after 4pm. I just want to say that we have a majority. 67% in Vidhan Sabha and 75% in Lok Sabha. We have 13 MPS and 50 MLAs. Based on this majority, the… pic.twitter.com/NtGHjGjgQW
— ANI (@ANI) January 10, 2024
स्पीकर ने फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगा था समय
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर, 2023 को नार्वेकर के लिए अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने की समय सीमा 31 दिसंबर से बढ़ाकर 10 जनवरी कर दी थी। साथ ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान की 10वीं अनुसूची की पवित्रता बनाए रखी जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने स्पीकर से 31 जनवरी, 2024 तक अजीत पवार समूह के नौ विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की याचिका पर फैसला करने को भी कहा था।
क्या कहती है संविधान की 10वीं अनुसूची?
दरअसल, संविधान की 10वीं अनुसूची दल बदल कानून से जुड़ी है। इसके तहत संसद और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों को उन राजनीतिक दलों से दल बदलने से रोकने के लिए बनाई गई है, जिनके टिकट पर वे जीतते हैं। इसके खिलाफ कड़े प्रावधान हैं, जिसके तहत उन्हें अयोग्य ठहराया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
शिंदे और उनके गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी। पिछली सुनवाई में विधानसभा अध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि कार्यवाही को दिखावा नहीं बनाया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और राकांपा के शरद पवार गुट द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था। याचिका में अयोग्यता की कार्यवाही पर शीघ्र निर्णय लेने के लिए स्पीकर को निर्देश देने की मांग की गई थी।
ठाकरे गुट ने जुलाई 2023 में अदालत का रुख किया था और अयोग्यता याचिकाओं पर समयबद्ध तरीके से शीघ्र निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष को निर्देश देने की मांग की थी।
सियासी संकट की टाइमलाइन
20 जून 2022: शिवसेना के 15 विधायक 10 निर्दलीय विधायकों के साथ पहले सूरत फिर गुवाहाटी निकल गए।
23 जून 2022: एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उनके पास 35 विधायकों का समर्थन है। लेटर भी जारी किया।
25 जून 2022: डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को नोटिस भेजा। यह सदस्यता रद्द करने से जुड़ा था। विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।
26 जून 2022: बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली। साथ ही शिवसेना, केंद्र, महाराष्ट्र पुलिस और डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा गया।
28 जून 2022: राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा।
29 जून 2022: उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
30 जून 2022: बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई और खुद सीएम बने।
3 जुलाई 2022: विधानसभा स्पीकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी। अगले दिन सीएम ने विश्वास मत हासिल कर लिया।
3 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि हमने सुनवाई 10 दिन के लिए क्या टाली, आपने सरकार बना ली।
4 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फैसला न लेने के लिए कहा।
23 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने संविधान पीठ को मामला ट्रांसफर कर दिया।
मार्च 2023: सुप्रीम कार्ट की संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा।